केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार बीमा क्षेत्र को ‘रणनीतिक सेक्टर’ का टैग देने पर विचार कर रही है। इस नीति के तहत बीमा सेक्टर में सिर्फ 4 सरकारी कंपनियां ही रखने का प्रस्ताव है। साफ है कि इस सेक्टर में भी सरकार निजीकरण की राह पर बढ़ने की तैयारी में है। फिलहाल भारतीय जीवन बीमा निगम समेत देश में 7 सरकारी बीमा कंपनियां हैं। बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक रेलवे, ऑयल ऐंड गैस, डिफेंस, स्पेस और अटॉमिक एनर्जी सेक्टर को भी रणनीतिक सेक्टर का टैग दिए जाने पर विचार चल रहा है।
बता दें कि सरकार की ओर से रेलवे में बड़े पैमाने पर निजीकरण की तैयारी चल रही है। निजी ट्रेनों के संचालन की योजना के साथ ही सरकार स्टेशनों का प्रबंधन भी निजी कंपनियों को सौंपने की तैयारी में है। यही नहीं एनर्जी सेक्टर में भी बड़े पैमाने पर निजीकरण किया जा सकता है। फिलहाल देश की दूसरी सबसे बड़ी तेल मार्केटिंग कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड की 52 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी को बेचने की प्रक्रिया में है।
यही नहीं बैंकिंग सेक्टर में भी सरकार निजीकरण की राह पर आगे बढ़ने की योजना बना रही है। अपने कार्यकाल में अब तक बैंकों के विलय को अंजाम देती रही मोदी सरकार अब सरकारी बैंकों में हिस्सेदारी बेचेगी। पिछले दिनों एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि सरकार देश में सिर्फ 4 से 5 सरकारी बैंक ही बनाए रखने पर विचार कर रही है। बता दें कि सोमवार को ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि 23 सरकारी कंपनियों की हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया चल रही है और जल्द ही यह पूरी हो जाएगी।
जानें, क्या है रणनीतिक सेक्टर का टैग: दरअसल अनुसंधान, स्पेस, रेलवे, बीमा जैसे सार्वजनिक सेवाओं और सामरिक महत्व वाले क्षेत्रों को सरकार ने स्ट्रेटेजिक टैग देने का फैसला लिया है। इनके अलावा अन्य सेक्टर्स में पूरी तरह से निजीकरण को अमल में लाया जा सकता है, लेकिन रणनीतिक क्षेत्रों में कम से कम एक और अधिकतम 4 कंपनियों को रखने का प्रस्ताव है। फिलहाल प्राइवेटाइजेशन की नीति के तहत सरकार रणनीतिक क्षेत्रों की नई सूची तैयार कर रही है, जिसे जल्दी ही जारी किया जा सकता है।
क्या है सरकार का प्लान: पिछले दिनों वित्त मंत्री निर्मला ने कहा था, ‘सरकार एक नई नीति की घोषणा करेगी, जो मोटे तौर पर रणनीतिक क्षेत्रों और अन्य क्षेत्रों को वर्गीकृत करेगी। ऐसे रणनीतिक क्षेत्र जिनमें सरकारी कंपनियां मौजूद रहेंगी, उन्हें अधिसूचित किया जायेगा। उन अधिसूचित क्षेत्रों में कम से कम एक सरकारी कंपनी रहेगी, जबकि निजी कंपनियों को भी उन क्षेत्रों में अवसर दिये जाएंगे।’
