भारतीय रेलवे ने चीनी कंपनी से 471 करोड़ रुपये के ठेके को वापस ले लिया है। चीनी कंपनी को कानपुर से मुगलसराय के बीच 417 किलोमीटर लंबे सेक्शन के बीच सिग्नलिंग और टेलीकम्युनिकेशन का काम सौंपा गया था। रेलवे की ओर से सन 2016 में बीजिंग नेशनल रेलवे रिसर्च और डिजाइन इंस्टिट्यूट ऑफ सिग्नल ऐंड कम्युनिकेशन ग्रुप को यह काम सौंपा था। रेलवे ने टेंडर को कैंसल करने का फैसला लेते हुए कहा है कि धीमी गति से कार्य होने के चलते यह फैसला लिया गया है। रेलवे ने कहा कि चीनी कंपनी की ओर से 4 साल की अवधि में महज 20 पर्सेंट काम ही किया गया था। ऐसे में उसे दिए गए ठेके को वापस लेने का फैसला लिया गया है।
हालांकि रेलवे ने अपने इस फैसले को लेकर कहा गया है कि चीन के साथ एलएसी पर जारी तनाव के चलते यह फैसला नहीं लिया गया है। इससे एक दिन पहले ही सरकार ने सरकारी टेलिकॉम कंपनियों बीएसएनएल और एमटीएनएल के अलावा निजी कंपनियों को भी आदेश दिया था कि वे चीनी उपकरणों का इस्तेमाल करना बंद कर दें। सरकार ने सिक्योरिटी के खतरे का हवाला देते हुए कहा था कि 4 जी के अपग्रेडेशन में चीनी उपकरणों का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।
अब रेलवे की कंपनी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया ने चीनी कंपनी को दिया गया ठेका वापस ले लिया है। चीनी कंपनी से कॉन्ट्रैक्ट वापस लिए जाने को लेकर विस्तार से जानकारी देते हुए रेलवे ने बताया कि 4 साल में सिर्फ 20 पर्सेंट काम ही हो सका है। इसके अलावा कंपनी टेक्निकल दस्तावेजों को साझा करने से बच रही थी, जबकि यह बात करार का हिस्सा थी। इसके अलावा स्थानीय एजेंसियों के साथ समन्वय न किए जाने की वजह से भी काम बाधित हुआ। यही नहीं कई बार बैठकें होने के बाद भी प्रोग्रेस काफी धीमी रही है।

