indian apparel exporters warn mass layoffs over tariff: कपड़ा यानी गारमेंट निर्यातकों (Apparel exporters)ने शुक्रवार (1 अगस्त) को अमेरिका द्वारा लगाए गए 25 प्रतिशत की भारी टैरिफ को लेकर खतरे की घंटी बजाई है। उनका कहना है कि फैक्ट्रियों को चालू रखने और बड़े स्तर पर छंटनी से बचने के लिए उन्हें अब लागत से भी कम दाम पर माल बेचना पड़ सकता है। यह चेतावनी ऐसे समय में आई है जब अमेरिका की ये नई टैरिफ दरें 7 अगस्त से लागू होने जा रही हैं। निर्यातकों ने यह भी चिंता जताई कि भारत पर लगाए गए ये टैरिफ 50 से ज्यादा देशों- जैसे बांग्लादेश और पाकिस्तान की तुलना में कहीं ज्यादा हैं।

एपेरल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (AEPC) के चेयरमैन सुधीर सेखड़ी ने एक बयान में कहा, “हम इस बड़े झटके की भरपाई के लिए तत्काल सरकारी हस्तक्षेप की मांग करते हैं। एक्सपोर्टर बेहद मुश्किल हालात में हैं और फैक्ट्रियों को चालू रखने व बड़े पैमाने पर छंटनी से बचने के लिए उन्हें लागत से भी कम कीमत पर माल बेचना पड़ सकता है।”

करीब 10 करोड़ किसानों के खाते में कल आएंगे 2000 रुपये, कल आएगी पीएम किसान की 20वीं किस्त

RMG के लिए अमेरिका एक बड़ा बाजार

AEPC (Apparel Export Promotion Council) ने कहा कि अमेरिका भारतीय रेडी-मेड गारमेंट (RMG) एक्सपोर्ट के लिए एक बड़ा बाजार है, जहां साल 2024 में भारत की हिस्सेदारी अमेरिका के कुल गारमेंट आयात में 33 प्रतिशत रही।

AEPC के मुताबिक, अमेरिका के गारमेंट इंपोर्ट मार्केट में भारत की मौजूदगी बीते कुछ सालों में लगातार बढ़ी है, जहां 2020 में भारत की हिस्सेदारी 4.5% थी, वहीं 2024 में यह बढ़कर 5.8% हो गई है।

इसके साथ ही भारत अब अमेरिका को RMG निर्यात करने वाले शीर्ष 4 देशों में शामिल हो चुका है।

ट्रंप टैरिफ का झटका! भारतीय बाजारों पर क्या होगा असर? जानें एक्सपर्ट का क्या है कहना

AEPC (Apparel Export Promotion Council) के अनुसार, अमेरिका को भारत द्वारा सबसे ज्यादा निर्यात किए जाने वाले टॉप 3 गारमेंट प्रोडक्ट ये हैं:

कॉटन टी-शर्ट्स – कुल निर्यात का 9.71%

महिलाओं या लड़कियों की कॉटन ड्रेसेज – 6.52%

बच्चों के कॉटन कपड़े – 5.46%

AEPC ने बताया कि इन तीन प्रमुख उत्पादों में भारत की वैश्विक हिस्सेदारी अमेरिका के कुल आयात में भी काफी अहम है:

कॉटन टी-शर्ट्स में भारत की हिस्सेदारी अमेरिका के कुल आयात का 10%

महिलाओं की कॉटन ड्रेसेज़ में 36%

बच्चों के कॉटन वस्त्र में 20%

इससे पता चलता है कि अमेरिका की इन प्रोडक्ट कैटेगरीज में भारत की मजबूत पकड़ है, जो अब नए टैरिफ के चलते खतरे में पड़ सकती है।

AEPC के मुताबिक, 2024 में भी चीन अमेरिका को कपड़े (apparel) निर्यात करने वाला सबसे बड़ा देश बना रहा, हालांकि उसकी बाजार हिस्सेदारी घटकर 21.9% रह गई है, जो 2020 में 27.4% थी। चीन, वियतनाम और बांग्लादेश ने मिलकर 2024 में अमेरिका के कुल गारमेंट आयात का 49% सप्लाई किया।

ध्यान देने वाली बात ये है कि: चीन पर US टैरिफ अब भी 30% है, वहीं वियतनाम और बांग्लादेश पर सिर्फ 20% टैरिफ लगाया गया है। जबकि भारत पर यह नया टैरिफ 25% तय किया गया है, जो बांग्लादेश और वियतनाम से ज्यादा है।

25 प्रतिशत टैरिफ लगने से भारत कम प्रतिस्पर्धी

श्रम प्रधान भारतीय टेक्सटाइल और परिधान उद्योग के लिए अमेरिका भारत का सबसे बड़ा निर्यात बाजार है, क्योंकि भारत ने वित्त वर्ष 2015 में इस कैटेगिरी के तहत 10.91 बिलियन डॉलर मूल्य के प्रोडक्ट का निर्यात किया। अब अगर अमेरिका द्वारा प्रस्तावित 25% का भारी टैरिफ लागू होता है, तो भारतीय उत्पाद बांग्लादेश जैसे देशों की तुलना में प्रतिस्पर्धी नहीं रह जाएंगे। इससे निर्यात घटने, फैक्ट्रियों के बंद होने, और मजदूरों की छंटनी जैसी गंभीर स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

टेक्सटाइल अमेरिका में भारत की निर्यात वृद्धि का एक प्रमुख ड्राइवर रहा है। मॉर्गन स्टेनली के एक विश्लेषण के मुताबिक, पिछले 10 वर्षों में भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय वस्तु व्यापार अधिशेष (trade surplus) दोगुना हो गया है, जो FY15 में $20 बिलियन था, वह FY25 में बढ़कर $40 बिलियन हो गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बढ़ोतरी का प्रमुख कारण इलेक्ट्रॉनिक्स, दवा उत्पाद (pharmaceuticals) और टेक्सटाइल सेक्टर में अधिशेष (surplus) का बढ़ना है।

क्यों नहीं हो पा रहा फ्री ट्रेड एग्रीमेंट?

भारत-अमेरिका व्यापार समझौता फिलहाल कुछ संवेदनशील सेक्टरों- जैसे कृषि और ऑटोमोबाइल को लेकर अटका हुआ है। हमारे सहयोगी The Indian Express की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, मौजूदा व्यापार वार्ताओं के दौरान भारत के अमेरिका की कुछ मांगों को मानने की संभावना नहीं है, खासकर जहां बात जनरेटिकली मॉडिफाइड (GM) कृषि उत्पादों- जैसे कॉर्न (मक्का) और सोया को स्वीकार करने की है।

भारत इस मुद्दे पर कड़े एहतियात और खाद्य सुरक्षा से जुड़े नियमों का हवाला दे रहा है, जबकि अमेरिका चाहता है कि भारत GM फसलों के लिए अपना बाजार खोले।
इस असहमति के चलते दोनों देशों के बीच व्यापक व्यापार समझौता (Free Trade Agreement) फिलहाल रुका हुआ है।

यह मुद्दा इसलिए और भी अहम हो जाता है क्योंकि कृषि अब भी भारत और अमेरिका के बीच सबसे विवादास्पद विषयों में से एक है।

United States Trade Representative (USTR) पहले भी कई बार यह कह चुका है कि विभिन्न देशों द्वारा उसके जनरेटिकली मॉडिफाइड (GM) उत्पादों पर लगाए गए प्रतिबंध भेदभावपूर्ण (discriminatory) हैं। भारत द्वारा GM कॉर्न और सोया जैसे उत्पादों को मंज़ूरी न देने की स्थिति में, यह विवाद व्यापार वार्ताओं को और जटिल बना सकता है, और संभव है कि अमेरिका इसे टैरिफ या अन्य व्यापारिक जवाबी कार्रवाई के रूप में उठाए।