प्रतिष्ठित मैगजीन फोर्ब्स की ओर से जारी लिस्ट के मुताबिक, 2015 में बिजनेस करने के लिहाज से बेहतर 144 देशों में भारत 97वें नंबर पर है। भारत इस मामले में कजाकिस्तान और घाना से भी पीछे है। व्यापार और आर्थिक आजादी, भ्रष्टाचार व हिंसा से निपटने से जुड़े मापदंडों के आधार पर यह रैंकिंग की गई है। हालांकि, भारत ने कुछ दूसरे मापदंडों पर बेहतर प्रदर्शन किया है। निवेशकों की सुरक्षा के मामले में आठवें, नई खोज के मामले में 41वें, निजी आजादी के मामले में 57वें जबकि प्रॉपर्टी से जुड़े अधिकारों के मामले में 61 वें नंबर पर है। कुछ मोर्चों पर भारत का प्रदर्शन बेहद खराब है। मसलन, व्यापार में आजादी के मामले में 125वें, आर्थिक आजादी के मामले में 139वें, तकनीक के मामले में 120वें, भ्रष्टाचार के मामले में 77वें जबकि लालफीताशाही के मामले में 123वें नंबर पर है। फोर्ब्स ने कहा है कि भारत एक ओपन मार्केट इकोनॉमी के तौर पर विकसित हो रहा है, लेकिन यहां अभी पुरानी नीतियों का कुछ असर देखा जा सकता है। मैगजीन के मुताबिक, भारत के सामने गरीबी, भ्रष्टाचार, हिंसा, महिलाओं पर होने वाली ज्यादती, बिजली उत्पादन और वितरण में कमी जैसे बड़ी चुनौतियां हैं।
अमेरिका की हालत भी खस्ता
लिस्ट में डेनमार्क टॉप पर है। वहीं, अमेरिका चार स्थान नीचे खिसककर 22वें नंबर पर आ गया है। 2009 में अमेरिका की रैंकिंग दूसरी थी। बीते छह सालों में वो इस लिस्ट में लगातार नीचे की ओर खिसका है। अमेरिका को दुनिया की आर्थिक राजधानी माना जाता है। 17.4 ट्रिलियन डॉलर के साथ यह दुनिया की सबसे बड़ी इकोनॉमी है। इसके बाद 10.4 ट्रिलियन डॉलर के साथ चीन इकोनॉमी के मामले में दूसरे नंबर पर है। फोर्ब्स के मुताबिक, लालफीताशाही और आर्थिक आजादी के मापदंडों पर अमेरिका ने बेहद खराब प्रदर्शन किया है, जिसकी वजह से उसकी रैंकिंग गिरी है। वहीं, ब्रिटेन और जापान की रैंकिंग तीन पायदान सुधरी है। जापान इस मामले में जहां 23वें नंबर पर है, वहीं ब्रिटेन 10 वें स्थान पर है। जर्मनी भी दो रैंक ऊपर 18वें नंबर पर आ गया है। वहीं, चीन 97 से 94 नंबर पर आ गया है।