सिंगापुर के उप प्रधानमंत्री थर्मन षणमुगरत्नम ने शुक्रवार (26 अगस्त) को कहा कि भारत में भारी ‘संभावनाएं’ हैं और यह ‘विश्व गाथा के पुनर्पाठ’ की स्थिति में है जिसके लिए उसे अगले 20 साल में 8-10 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर की जरूरत होगी ताकि वह चीन जैसे देशों के साथ अपने प्रति व्यक्ति आय के अंतर को कम कर सके। षणमुगरत्नम यहां सरकारी शोध संस्थान नीति आयोग में ‘ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया’ विषय पर पहला व्याख्यान दे रहे थे। उन्होंने साहसी आर्थिक सुधारों का आह्वान करते हुए कहा, ‘भारत को अपनी क्षमता को हासिल करने की ओर तेजी से बढ़ना होगा। 8-10 प्रतिशत की दर कोई बड़ी बात नहीं है बल्कि इससे तो भारत 20 साल के समय में चीन के प्रति व्यक्ति आय का लगभग 70 प्रतिशत ही हासिल कर पाएगा।’

उन्होंने कहा, ‘भारत की प्रति व्यक्ति आय चीन की तुलना में ढाई गुना कम है। भारत इसे हासिल कर सकता है।’ उन्होंने कहा, ‘मैं जानता हूं कि इस दुनिया में किसी भी देश में सबसे अधिक अतृप्त संभावनाएं भारत में हैं और उसे इसे त्वरित हासिल करना होगा। सुधार चल रहे हैं। भारत आधार सहित कुछ क्षेत्रों में दुनिया की अगुवाई कर रहा है।’ षणमुगरत्नम ने कहा कि भारत विश्व गाथा का पुनर्पाठ करने की स्थिति में है ताकि वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ बेहतर रणनीतिक संवाद के जरिए व्यापक संपन्नता हासिल की जा सके। उन्होंने कहा, ‘अगर युवा जनसंख्या के लिए रोजगार सृजन करने हैं, बेरोजगार घटानी है, समावेशी वृद्धि हासिल करनी है तो भारत को अगले 20 साल में 8-10 प्रतिशत वृद्धि की जरूरत होगी।’ इसी से भारत अपने निम्न आय वर्ग को मध्यम आर्य वर्ग में ले जा सकेगा जैसा कि चीन ने किया है।

षणमुगरत्नम ने कहा कि भारत की स्थिति चीन से अलग है और यह विश्व गाथा के पुनर्पाठ की स्थिति में है क्योंकि यह एक मुक्त समाज है जहां संवैधानिक लोकतंत्र है। उन्होंने कहा कि भारतीय यह दिखा सकते हैं कि किसी खुले समाज व खुली अर्थव्यवस्था के लिए न केवल त्वरित बल्कि समावेशी वृद्धि हासिल करना कैसे संभव है। उन्होंने 8-10 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि दर के लिए उपाय सुझाते हुए कहा, ‘यह संभावना पूरी तरह पहुंच में है। लेकिन यह महत्वपूर्ण बदलावों के बिना नहीं हासिल की जा सकती। इसे मौजूदा नीतियों के साथ हासिल नहीं किया जा सकता। इसके लिए ‘क्रमिक विकास नहीं बल्कि त्वरित बदलाव’ की जरूरत होगी, जैसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में कहा। उन्होंने कहा कि इसके लिए साहसी व त्वरित बदलावों की जरूरत है जो अर्थव्यवस्था व निवेश को मुक्त बनाएं। उन्होंने कहा कि इसके लिए सरकार में छोटी महत्वाकांक्षा नहीं बल्कि सरकार में अलग महत्वाकांक्षा की जरूरत है।