India, Cairn Case, Debt tax : केंद्र सरकार के पास केयर्न मामले में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण के फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए अप्रैल-मध्य तक का समय है।
मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने सरकार को ब्रिटेन की केयर्न एनर्जी पीएलसी को 1.2 अरब डॉलर, ब्याज और लागत आदि लौटाने को कहा है। हेग की स्थानीय मध्यस्थता अदालत में तीन सदस्यीय न्यायाधिकरण की पीठ ने केयर्न एनर्जी के खिलाफ सरकार के 10,247 करोड़ रुपये के कर दावे को खारिज कर दिया था। मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने सरकार को कंपनी के बेचे गए शेयर, जब्त लाभांश और रोके गए टैक्स रिफंड को लौटाने को कहा था।
घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले दो लोगों के अनुसार यह पंचनिर्णय आठ जनवरी को नीदरलैंड में रजिस्टर्ड हुआ। भारत ने 19 जनवरी को इसके रजिस्ट्रेशन पर स्वीकारोक्ति दी। सूत्रों ने कहा कि इस फैसले के खिलाफ इन दो तिथियों के 90 दिन के अंदर अपील की जा सकती है। कर विशेषज्ञों का कहना है कि नीदरलैंड के कानून के अनुसार इस पंचनिर्णय को निरस्त किए जाने की संभावना काफी कम है।
अगर मध्यस्थता समिति ने प्रक्रियाओं का अनुपालन नहीं किया है, तभी पंचनिर्णय को रद्द किया जा सकता है। वहीं, भारत आदेश का पालन नहीं करता है, तो यह मध्यस्थ आदेश पर अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन होगा, जिसे आमतौर पर न्यूयॉर्क कन्वेंशन कहा जाता है।
निर्मला सीतारमण ने दिए थे अपील के संकेत: इससे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसी महीने संकेत दिया था कि इस फैसले में सरकार के टैक्स लगाने के अधिकारों पर सवाल उठाया गया है, जिसके मद्देनजर सरकार इसके खिलाफ अपील करेगी। वित्त मंत्रालय का मानना है कि कराधान ब्रिटेन-भारत द्वपिक्षीय निवेश संधि जैसी संधियों का विषय नहीं है। ऐसे में इस फैसले को चुनौती दी जानी चाहिए। केयर्न ने इसी आधार पर टैक्स मांग को चुनौती दी है।
आपको बता दें कि ब्रिटेन की केयर्न एनर्जी की ओर से कहा गया था कि विदेशों में भारतीय बैंक खातों, विमानों और अन्य एसेट को जब्त किया जा सकता है। एक पत्र में यह बात कही गई थी।
इस पत्र के मुताबिक यदि भारत सरकार न्यायाधिकरण के आदेश का पालन करने में असफल रहती है, तो उस सूरत में ब्रिटिश कंपनी ने विदेश में स्थित भारतीय परिसंपत्तियों की पहचान शुरू कर दी है। (भाषा से इनपुट)