भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) जनवरी-मार्च तिमाही में 6.1 फीसदी बढ़ा है। बुधवार को राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (NSO) ने बताया कि इससे पहले की तिमाही में यह 4.4 फीसदी थी। एनएसओ के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2021-22 में 9.1 फीसदी जीडीपी की तुलना में 2022-23 में भारत की जीडीपी 7.2 फीसदी थी।
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) ने कहा कि FY2022-23 में भारत की नॉमिनल GDP या मौजूदा कीमतों पर GDP 16.1 प्रतिशत की दर से बढ़ी है। MoSPI ने कहा कि मार्च तिमाही के लिए मौजूदा कीमतों पर भारत की GDP में 10.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन साल-दर-साल 4.5 प्रतिशत ऊपर गया
मार्च तिमाही में, भारत के विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन साल-दर-साल 4.5 प्रतिशत ऊपर गया, जबकि पिछली तिमाही में यह 1.1 प्रतिशत था। इसी अवधि में 3.7 प्रतिशत की वृद्धि के मुकाबले देश के कृषि उत्पादन में 5.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मंगलवार को वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि डेटा 2023-24 के लिए भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि 6.5 प्रतिशत अनुमानित है, और जोखिम समान रूप से संतुलित है, जबकि इसी अवधि में अर्थव्यवस्था 7 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है।
आरबीआई ने कहा कि एक उदासीन वैश्विक दृष्टिकोण से चुनौतियों का सामना करने के बावजूद मुद्रास्फीति के दबाव में कमी के बीच भारत की विकास गति 2023-24 में बनी रहने की संभावना है।
समावेशी विकास में शायद सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण भूमिका एमएसएमई क्षेत्र की हो सकती है। आज भारत में सवा छह करोड़ से अधिक एमएसएमई इकाइयों में ग्यारह करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार प्राप्त है। एमएसएमई की जीडीपी में तीस फीसद तथा निर्यात में अड़तालीस फीसद से अधिक योगदान के साथ आर्थिक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका है। एमएसएमई कुल औद्योगिक इकाइयों में पंचानबे फीसद से अधिक हिस्से के साथ भारत की सामाजिक-आर्थिक प्रगति की बुनियाद है।
भारतीय अर्थव्यवस्था में एमएसएमई क्षेत्र की लगभग 6.34 करोड़ इकाइयों में से विनिर्माण क्षेत्र की इकाइयों का जीडीपी में 6.11 फीसद, सेवा क्षेत्र की इकाइयों का जीडीपी में 24.63 फीसद तथा सकल विनिर्माण उत्पादन में 33.4 फीसद योगदान है। एमएसएमई क्षेत्र ग्यारह करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करने के साथ भारत के कुल निर्यात में लगभग अड़तालीस फीसद योगदान करता है।