Income Tax on IPO earnings: पिछले वित्त वर्ष के दौरान भारतीय निवेशकों ने आईपीओ से अच्छा खासा प्रॉफिट कमाया है। बहुत से आईपीओ तो ऐसे भी रहे हैं, जिन्होंने लिस्टिंग के दिन ही निवेशकों के पैसे डेढ़ गुने, दो गुने तक कर दिए हैं। लेकिन अब आईपीओ से हुई इस मोटी कमाई पर टैक्स भरने का वक्त आ रहा है। पिछले वित्त वर्ष के दौरान हुई आमदनी पर आयकर रिटर्न फाइल करते समय आईपीओ के मुनाफे पर भी इनकम टैक्स भरना होगा। ऐसे में कई निवेशकों के मन में यह सवाल उठ सकता है कि क्या इस टैक्स लायबिलिटी को कम करने का कोई वैध तरीका हो सकता है? इस मामले में इनकम टैक्स से जुड़े नियम क्या बताते हैं? 

ऐसे तय होती है टैक्स देनदारी 

आईपीओ से पैसे कमाने का मतलब है शेयर बाजार या इक्विटी में इनवेस्ट करके मुनाफा कमाना। ऐसी कमाई पर इनकम टैक्स किस हिसाब से लगेगा यह इक्विटी में निवेश के होल्डिंग पीरियड से तय होता है। 

  • – अगर शेयर्स में किए गए किसी इनवेस्टमेंट को एक साल या उससे ज्यादा वक्त तक होल्ड करने के बाद बेचें, तो उस पर हुआ प्रॉफिट दीर्घकालीन पूंजीगत लाभ या लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) कहा जाता है, जिस पर 10 प्रतिशत के हिसाब से LTCG टैक्स देना पड़ता है। 
  • – अगर एक फाइनेंशियल इयर के दौरान आपकी ऐसी कमाई यानी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन 1 लाख रुपये से ज्यादा नहीं है, तो उस पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। 
  • – अगर आप शेयर में किए गए इनवेस्टमेंट को एक वर्ष से कम वक्त तक रखने बाद बेचकर प्रॉफिट बुक करते हैं, तो इस लाभ को अल्पकालिक पूंजीगत लाभ या शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) कहा जाता है। इस STCG पर 15 प्रतिशत टैक्स देना पड़ता है। 
  • – एक साल में 1 लाख रुपये तक के प्रॉफिट पर टैक्स की छूट सिर्फ LTCG पर ही मिलती है, STCG में नहीं। 

आईपीओ में अलॉट शेयर बेचने पर टैक्स देनदारी 

आईपीओ के जरिये मिले शेयरों को अगर आप लिस्टिंग के दिन ही मुनाफा वसूली करके बेच देते हैं, या फिर लिस्टिंग के बाद अगले कुछ दिनों में प्रॉफिट बुकिंग करते हैं, तो उससे हुई कमाई शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन मानी जाएगी। ऊपर हमने जो नियम बताया, उससे साफ है कि इस कमाई पर आपको 15 प्रतिशत की दर से STCG टैक्स देना होगा। दरअसल, आप आईपीओ में मिले शेयर को एक साल से पहले कभी भी बेचें, उस पर हुए प्रॉफिट पर टैक्स का यही नियम लागू होगा। 

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आईपीओ के प्रॉफिट पर टैक्स देनदारी घटाने का तरीका 

सवाल ये है कि क्या आप IPO में अलॉट हुए शेयर की मुनाफा वसूली पर लागू कुल टैक्स लायबिलिटी को कुछ कम कर सकते हैं? जवाब है हां, आप नीचे बताए तरीकों से अपनी कुछ हद तक घटा सकते हैं: 

  • – अगर आपको उसी वित्त वर्ष के दौरान किसी और शेयर को बेचने में शॉर्ट टर्म कैपिटल लॉस हुआ है, तो उसे आईपीओ से हुए शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन में एडजस्ट करके टैक्स देनदारी कम कर सकते हैं। 
  • – शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स लायबिलिटी तभी कम होगी, जब उसे उसी फाइनेंशिल इयर में हुए किसी शॉर्ट टर्म कैपिटल लॉस के साथ एडजस्ट किया जाए।
  • – STCG को किसी लॉन्ग टर्म कैपिटल लॉस के साथ एडजस्ट नहीं किया जा सकता। 
  • लॉन्ग टर्म कैपिटल लॉस को सिर्फ लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन के साथ ही एडजस्ट किया  जा सकता है।
  • – इसके अलावा अगर IPO में शेयर अलॉटमेंट के लिए आपने किसी ब्रोकरेज के माध्यम से आवेदन किया था और उसके लिए ब्रोकरेज को फीस दी थी, तो उस फीस को भी आप प्रॉफिट से घटा सकते हैं। 

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IPO के मुनाफे पर किसे नहीं देना होगा टैक्स 

आईपीओ में मिले शेयर से हुए प्रॉफिट को जोड़ने के बाद भी अगर किसी इनवेस्टर की वार्षिक कर योग्य आय यानी एनुअल टैक्सेबल इनकम बेहद कम है और बेसिक एग्जम्पशन लिमिट (basic exemption limit) से नीचे है, तो उन्हें कोई आयकर नहीं देना होगा। आयकर के नियमों के मुताबिक आम नागरिकों के लिए बेसिक एग्जम्पशन लिमिट 2।5 लाख रुपये है। जबकि 60 से 80 वर्ष तक की उम्र वाले वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह लिमिट 3 लाख रुपये और 80 साल से ज्यादा उम्र वाले सुपर-सीनियर सिटिजन्स के लिए के लिए 5 लाख रुपये है। और जो निवेशक न्यू टैक्स रिजीम को अपना रहे हैं, उन्हें तो सेक्शन 87A के जरिये मिलने वाली टैक्स रिबेट को शामिल करने के बाद 7 लाख रुपये तक की सालाना आमदनी पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ता।