नोटबंदी के बाद कालेधन से संबंधित कई मामलों के सामने आने के बाद आयकर विभाग के कर्मचारियों ने सरकार से श्रमबल और सुविधाएं बढ़ाने की मांग की है। आयकर विभाग के कर्मचारियों की दो यूनियनों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर ‘करोड़ों रुपये’ की कर चोरी के मामलों की जांच के लिए पर्याप्त श्रमबल एवं ढांचागत सुविधायें उपलब्ध कराने की मांग की है। दो कर्मचारी यूनियनों, इनकम टैक्स एम्पलाइज फेडरेशन (आईटीईएफ) तथा इनकम टैक्स गैजेटेड आफिसर्स एसोसिएशन (आईटीजीओए) ने मोदी को इस बारे में पत्र लिखा है। ये दोनों संघ आयकर विभाग के 97 प्रतिशत कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
पत्र में कहा गया है कि नोटबंदी के बाद के घटनाक्रमों से पता चलता है कि कालेधन तथा भ्रष्टाचार की बुराई से लड़ने के लिए कई कड़े उपायों की जरूरत होगी। इसमें आयकर विभाग को मुख्य भूमिका निभानी होगी। इस तरह की जमा के आंकड़े करोड़ों रुपये में हो सकते हैं। संयुक्त ज्ञापन में दोनों संघों ने कहा कि इन उद्देश्यों को हासिल करने के लिए विभाग के पास विशेषरूप से महत्वपूर्ण पदों पर पर्याप्त श्रमबल होना चाहिए। साथ ही विभाग को उचित ढांचागत सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जानी चाहए, जिससे कार्यबल को प्रोत्साहन मिले। संघों ने कहा कि उन्होंने इस बारे में प्रधानमंत्री को 17 नवंबर को पत्र लिखा है। इसमें कालेधन से निपटने के लिए कई उपाय सुझाए गए हैं।
यूनियनों की ओर से कहा गया कि इनकम टैक्स विभाग में निचले स्तर पर 30-35 प्रतिशत वैकेंसियां हैं। आईटी एडिशनल कमिश्नर और आईटी डिप्टी कमिश्नर, उनके जूनियर अधिकारियों के पद भी खाली पड़े हैं। साथ ही विभाग में इंटरनेट और इसकी कनेक्टिविटी भी काफी कमजोर है। इसके चलते कामों को पूरा करने में काफी समय लगता है। गौरतलब है कि नोटबंदी के बाद से आयकर विभाग ने 2000 करोड़ रुपये का कालाधन पकड़ा है। देश के अलग-अलग हिस्सों में छापे मारे जा रहे हैं। 8 दिसंबर को चेन्नई से 100 करोड़ की नकदी और 100 किलो सोना जब्त किया गया था।

