वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की तरफ से लोन मेला का आइडिया पूरी तरह से कारगर नजर नहीं आ रहा है। पहले दिन रंग बिरंगा शामियाना लोन लेने के लिए लोगों को आकर्षित करने के अपने उद्देश्य में सफल नहीं रहा।
बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार पहले दिन मेले में जिन लोगों को लोन मिला उन लोगों ने करीब महीने भर पहले से ही लोन के लिए आवेदन किया गया था। बैंक की तरफ से ऐसे लोगों को फोन कर मेले में बुलाया गया। उनसे कहा गया कि वे लोग मेले में आकर अपना अप्रूवल लेटर ले जाएं। खबर के अनुसार लोन मेले की सफलता के लिए सरकारी बैंकों के मेले में कम से कम पांच ग्राहकों या लोगों को लोन देने की बात कही गई है।
खबर के अनुसार नाम नहीं बताने की शर्त पर एक सार्वजनिक बैंक के प्रमुख ने बताया कि पहले दिन मेले में लोगों की उपस्थिति उम्मीद से काफी कम रही। कुछ लोन कैंप कम्यूनिटी हॉल जैसे स्थानों पर लगाए गए हैं लेकिन इनके प्रचार प्रसार के लिए अधिक समय नहीं दिया गया।
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत 1.5 लाख का लोन पाने वाले शैलेंद्र कुमार मिश्रा ने बताया कि उन्होंने करीब एक महीने पहले ही लोन के लिए आवेदन किया था। मुझे बैंक के कर्मचारी की तरफ से फोन आया कि मैं कैंप में आकर अपना लोन अप्रूवल लेटर ले लूं। इस बीच लोन मेला में लोन मंजूरी के लिए वहीं प्रक्रिया अपनाई जा रही है जो आमतौर पर बैंक की शाखाओं में अपनाई जाती है।
इसी तरह कैंप में पहुंचे 32 वर्षीय प्रमोद कुमार ने कहा कि लोन मेले से उन्हें निराशा हाथ लगी। उनका कहना था कि उनका एपैरल मैन्युफैक्चरिंग का बिजनेस है। वह स्टार्टअप इंडिया या मुद्रा योजना के तहत लोन चाहते हैं लेकिन बैंक की कड़ी शर्तों को कारण उनकी जैसी कंपनियों को लोन नहीं मिल रहा है। मालूम हो कि सार्वजनिक बैंकों ने 3 अक्टूबर से चार दिन तक रिटेल, कृषि, वाहन, घर, एमएसएमई, शिक्षा और पर्सनल कैटेगरी में लोन मंजूरी के लिए लोन मेला की शुरुआत की है।
लोन मेले के दूसरे चरण में 150 जिलों को शामिल करने की योजना है। दूसरा चरण दिवाली से पहले 21 अक्टूबर से लेकर 25 अक्टूबर तक चलाया जाएगा।