हम में से कई लोगों के एक से ज्यादा बैंक में खाते होंगे। अगर आपके पास भी एक से ज्यादा बैंक में अकाउंट हैं तो आपकी बचत बर्बाद हो सकती है। यही नहीं आपको चूना लगने की भी संभावना है। प्राइवेट नौकरी करने वालों के एक से ज्यादा बैंक में खाते होते हैं। इसके पीछे वजह है एक कंपनी से दूसरी कंपनी में नौकरी बदलते रहना। हर कंपनी का अलग-अलग बैंकों के साथ टाइअप होता है। ऐसे में एक कर्मचारी अगर पांच कंपनियों में नौकरी कर चुका है तो निश्चित ही उसके एक से ज्यादा खाते होने की संभावना होती है।
अक्सर देखा गया है कि जब कोई कर्मचारी नई कंपनी ज्वॉइन करता है तो वह पहले वाली कंपनी के बैंक अकाउंट पर सक्रिय नहीं होता। इससे उसको कई तरह का नुकसान होता है। आज हम आपको ऐसे ही कुछ नुकसान के बारे में बता रहे हैं। आइए जानते हैं एक से ज्यादा बैंक खाते होने पर क्या-क्या नुकसान हो सकता है:-
पेनल्टी: अक्सर ऐसा देखा जाता है कि नौकरी बदलने के बाद कर्मचारी अपने पुराने खातों को बंद नहीं करते। यानि की बैंक खाते सक्रिय नहीं रहते। बैंकों के नियमों के मुताबिक किसी भी सैलरी अकाउंट में अगर तीन महीने तक सैलरी नहीं आती तो वह सेविंग अकाउंट में तब्दील हो जाता है। ऐसे में जब किसी कर्मचारी का सैलरी अकाउंट सेविंग अकाउंट में तब्दील हो जाता है तो मिनिमम अमाउंट न होने की वजह से उस पर पेनल्टी लगती है।
मिनिमम बैलेंस: अगर आपके पास एक से ज्यादा सेविंग अकाउंट या करेंट अकाउंट हैं तो इससे भी आपको चूना लग सकता है। वजह है बैंकों द्वारा निर्धारित मिनिमम बैलेंस। अलग-अलग बैंकों में 5000 से लेकर 10000 रुपए तक का मिनिमम बैलेंस रखने का नियम है। अगर किसी ग्राहक के एक से ज्यादा बैंक में अकाउंट हैं तो उसे मिनिमम बैलेंस को रखना ही होगा। अगर वह ऐसा नहीं करता तो बैंक पेनल्टी लगाते हैं।
क्रेडिट स्कोर: इसके अलावा अगर आप के एक से ज्यादा अकाउंट हैं और वह सक्रिय नहीं है तो आपाक क्रेडिट स्कोर खराब हो सकता है। इसका नुकसान यह है कि आप भविष्य में लोन लेना चाहेंगे तो बैंक आनाकानी करेंगे।
वित्तीय नुकसान: अलग-अलग बैंकों में एक से ज्यादा अकाउंट में मिनिमम बैंलेंस अमाउंट रखते हैं तो तब भी आपको वित्तीय नुकसान है। ऐसा इसलिए क्योंकि बैंक उतना ब्याज नहीं देते जितना किसी म्युचुअल फंड की स्कीम में मिलता है।