अगर आप लंबे समय तक निवेश के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट का विकल्प चुनते हैं, तो कुछ बातें आपको पता होनी चाहिए। ज्यादातर लोग अपनी रिटायरमेंट बचत को बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट करते हैं। ज्यादातर बैंक 9-9.25 प्रतिशत ब्याज देते हैं। लेकिन ध्यान न देने की वजह से ब्याज पर TDS (टैक्स स्रोत पर कर कटौती) कट जाता है। उदाहरण के लिए, अगर आपने 25 लाख रुपए बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट में जमा किए। बैंक आपको 9 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज देता है। ऐसे में आपको हर साल ब्याज के तौर पर 2,25,000 रुपए मिलने चाहिए, मगर ज्यादातर मामलों में बैंक TDS के तौर पर ब्याज का 10 फीसदी (2,25,000 का 10 प्रतिशत) काट लेते हैं, ऐसे में आपके हाथ लगते हैं सिर्फ 2.02 लाख रुपए। ऐसी स्थिति में आपको अपने आयकर टैक्स रिटर्न में बैंक द्वारा काटे गए TDS पर दावा करना होगा, इसके बाद रिफंड मिलने का इंतजार करना होगा।
बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिलने वाले ब्याज पर कर लगता है। अगर साल भर में मिला ब्याज 10,000 रुपए से अधिक है तो बैंक को ब्याज की रकम का 10 फीसदी बतौर TDS काटना पड़ता है। हालांकि अगर जमाकर्ता बैंक को परमानेंट अकाउंट नंबर (PAN) नहीं देता, तब बैंक 20 प्रतिशत की दर से TDS काटेगा। अगर आपके पास आय का काेई दूसरा बड़ा साधन नहीं है, तो आपको और कोई टैक्स नहीं चुकाना चाहिए। वरिष्ठ नागरिकों (60 साल से अधिक उम्र) के लिए 3 लाख रुपए तक की आय को टैक्स से छूट दी गई है। अगर आप ऐसी किसी स्थिति से बचना चाहते हैं तो TDS बचाने के लिए निम्न उपाय कर सकते हैं:
अपने निवेश को विभिन्न बैंकों में बांटकर:
आप जमा की जाने वाली राशि का प्रयोग विभिन्न बैंकों में फिक्स्ड डिपॉजिट खुलवाने के लिए कर सकते हैं। टैक्स नियमों के मुताबिक, एक ही बैंक की विभिन्न शाखाओं में फिक्स्ड डिपॉजिट्स पर मिलने वाला ब्याज 10,000 रुपए से अधिक है तो TDS काटा जाएगा। इसलिए TDS बचाने हेतु आपको कई बैंकों में एफडी करानी चाहिए।
समय का ध्यान रखकर:
अगर संभव हो, तो आप इस तरह से निवेश करें कि साल भर का ब्याज किसी एक वित्तीय वर्ष में 10,000 रुपए से ज्यादा न हो। उदाहरण के तौर पर, अक्टूबर में 9 प्रतिशत ब्याज के साथ एक लाख रुपए की रकम 12 महीनों के फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश की जा सकती है क्योंकि वित्तीय वर्ष 31 मार्च को खत्म होता है। इस तरह से, ब्याज दो वित्तीय वर्ष में टूट जाएगा और TDS नहीं कटेगा।
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15G or 15H फॉर्म जमा कर:
बैंक को TDS काटने से रोकने के लिए फॉर्म 15G/15H जमा किया जा सकता है। ये स्वयं-घोषणा पत्र होते हैं जिन्हें व्यक्ति यह कहते हुए फाइल कर सकता है कि उसकी आय टैक्स की परिधि से कम है। फॉर्म 15G 60 साल से कम उम्र वालों के लिए है और फाॅर्म 15H 60 साल से अधिक उम्र वालों के लिए। जिनकी ब्याज से हुई कुल आय छूट सीमा से कम है और टैक्स ‘निल’ है, वे इन फॉर्म्स का प्रयाेग TDS कटौती से बचने के लिए कर सकते हैं। अगर आप FD कराते समय ये फॉर्म नहीं भर पाएं हैं तो जल्द से जल्द भर दें क्योंकि TDS सामान्यत: तिमाही पर कटता है।