Income Tax Saving: अगर आप एक इनकम टैक्स पेयर हैं और न्यू टैक्स रिजीम का चुनाव करने की सोच रहे हैं, तो बजट में पेश नए प्रावधानों का इस्तेमाल करके अपनी टैक्स देनदारी को काफी हद तक कम कर सकते हैं। खासतौर पर बजट में नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) को बढ़ावा देने के लिए लाए गए नियम इसमें आपकी काफी मदद कर सकते हैं। मिडल इनकम ग्रुप में आने वाले सैलरीड कर्मचारियों के लिए तो नए नियम काफी फायदेमंद साबित हो सकते हैं।
NPS से जुड़े नए नियमों का उठाएं फायदा
मिडिल इनकम ब्रैकेट में आने वाले सैलरीड टैक्सपेयर अगर एनपीएस में निवेश से जुड़े नए नियमों का इस्तेमाल करें, तो बड़े पैमाने पर टैक्स सेविंग करने में मदद मिलेगी। इसके लिए उन्हें नई टैक्स रिजीम चुनने के बाद कॉर्पोरेट एनपीएस के लिए साइन अप करना होगा, जिसमें उनके एंप्लॉयर को उनकी बेसिक सैलरी का 14% तक एनपीएस अकाउंट्स में कॉन्ट्रिब्यूट करना होगा। पुरानी टैक्स रिजीम में यह सीमा अब भी 10% ही है। लेकिन कॉन्ट्रिब्यूट में इसे बढ़ाया गया है। गैर-सरकारी कर्मचारियों के लिए, एनपीएस एक वॉलंटरी स्कीम है। वे खुद से ऑल-सिटीज़न्स मॉडल के माध्यम से या कॉर्पोरेट एनपीएस स्कीम के तहत अपने एंप्लॉयर की मदद लेकर इसमें कॉन्ट्रिब्यूट कर सकते हैं।
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नई टैक्स रिजीम के तहत टैक्स छूट
मौजूदा नियमों के तहत कर्मचारी सेक्शन 80CCE के तहत अपने एनपीएस कॉन्ट्रिब्यूशन पर अपनी बेसिक सैलरी और डियरनेस अलाउंस का 10% तक डिडक्शन ले सकते हैं। यह कॉन्ट्रिब्यूशन कुल मिलाकर सेक्शन 80C की 1.5 लाख रुपये की सीमा से अधिक नहीं हो सकता। अगर वे पुरानी रिजीम चुनते हैं, तो वे 50,000 रुपये का अतिरिक्त कॉन्ट्रिब्यूशन कर सकते हैं और सेक्शन 80CCD(1B) के तहत डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं।
इसके अलावा, अगर आपके एंप्लॉयर आपकी बेसिक सैलरी और डियरनेस अलाउंस के 10% तक आपके एनपीएस अकाउंट में कॉन्ट्रिब्यूट करते हैं, तो आपको सेक्शन 80CCD(2) के तहत डिडक्शन मिलता है। यह फिलहाल पुरानी और नई, दोनों टैक्स रिजीम पर लागू होता है। एंप्लॉयर भी इस कॉन्ट्रिब्यूशन पर डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं, क्योंकि इसे बिज़नेस एक्सपेंस माना जाता है। लेकिन अब सरकार ने नए बजट में प्रस्ताव रखा है कि नई टैक्स रिजीम को चुनने वाले सैलरीड टैक्स-पेयर्स के लिए एंप्लॉयर के एनपीएस कॉन्ट्रिब्यूशन पर डिडक्शन को 14% तक बढ़ाया जाए।
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कॉर्पोरेट एनपीएस चुनें या नहीं?
सवाल यह है कि अगर आपके एंप्लॉयर यह सुविधा प्रदान करते हैं, तो क्या आपको इसका फायदा उठाना चाहिए? कुछ इनकम ब्रैकेट्स में कॉर्पोरेट एनपीएस का टैक्स कैलकुलेशन फायदेमंद साबित होता है। उदाहरण के लिए, अगर किसी सैलरीड व्यक्ति की ग्रॉस एनुअल सैलरी 8,20,975 रुपये है और वह नई टैक्स रिजीम और कॉर्पोरेट एनपीएस में एंप्लॉयर का कॉन्ट्रिब्यूशन चुनता है, तो उसे कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा। दूसरी ओर, पुरानी टैक्स रिजीम में ज़ीरो-टैक्स लेवल तक पहुंचने के लिए उसी कर्मचारी को कुल मिलाकर कम से कम 2,38,136 रुपये का डिडक्शन क्लेम करना होगा। साथ ही 50,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन और एंप्लॉयर का 10% एनपीएस कॉन्ट्रिब्यूशन भी लेना होगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि पुरानी रिजीम में सेक्शन 87A के तहत रीबेट के लिए इनकम लिमिट 5 लाख रुपये ही है और स्टैंडर्ड डिडक्शन भी पहले की तरह 50,000 रुपये ही है।
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लेकिन अगर आपकी ग्रॉस सैलरी 30 रुपये लाख है और आप 50 हजार के स्टैंडर्ड डिडक्शन समेत कुल डिडक्शंस 5,31,330 से अधिक क्लेम करते हैं, तो आप पुरानी रिजीम में अधिक टैक्स बचा सकते हैं। इस मामले में आपका एंप्लॉयीज़ प्रोविडेंट फंड (EPF) कॉन्ट्रिब्यूशन ही सेक्शन 80C की 1.5 लाख रुपये की सीमा को लगभग पूरा कर देगा। इसके अलावा अगर आपका एचआरए काफी अधिक है, तो भी पुरानी रिजीम ही आपके लिए ज्यादा टैक्स सेविंग कराने वाली साबित होगी। जो लोग हायर इनकम ब्रैकेट्स में आते हैं, वे भी कॉर्पोरेट एनपीएस से लाभ उठा सकते हैं। हालांकि उन्हें अपने एंप्लॉयर और एचआर टीम्स के साथ मिलकर अपने सैलरी पैकेज को सावधानी के साथ री-स्ट्रक्चर करना होगा ताकि टैक्स बेनिफिट्स को अधिकतम किया जा सके।