Pros and cons of investing in Guaranteed Income Plans: एक ही स्कीम में इंश्योरेंस कवरेज और फिक्स्ड इनकम का दोहरा लाभ गारंटीड इनकम प्लान (GIP) की सबसे बड़ी खूबी है। ऐसी स्कीम बहुत से निवेशकों को आसानी से आकर्षित भी कर लेती हैं। यही वजह है कि तमाम बीमा कंपनियां ऐसे प्लान ऑफर करती हैं। इन स्कीम में इनवेस्टर्स एक फिक्स्ड टेन्योर के लिए प्रीमियम के तौर पर तय रकम जमा करनी होती है। इसके बदले में इंश्योरेंस कंपनी बीमा कवर के साथ ही पहले से फिक्स्ड समय तक हर साल या हर महीने एक निश्चित रकम देने का वादा करती है। फिक्स्ड इनकम की यह गारंटी 10, 15, 20 या 30 साल के लिए हो सकती है। दोहरे बेनिफिट के कारण ऐसे प्लान काफी दिलचस्प लगते हैं, लेकिन इनमें निवेश करना आर्थिक नजरिये से कितना फायदेमंद है? इस बारे में फैसला करने के लिए गारंटीड इनकम प्लान की खूबियों और खामियों को समझना जरूरी है।
गारंटीड इनकम प्लान की खूबियां
- – पहले से फिक्स्ड रेगुलर इनकम गारंटीड इनकम प्लान की सबसे बड़ी खूबी है। रिटायरमेंट के बाद भी रेगुलर इनकम की गारंटी इसका सबसे महत्वपूर्ण आकर्षण है।
- – खास बात ये है कि इनकम गारंटीड होने के कारण उस पर बाजार के उतार-चढ़ाव का असर नहीं पड़ता है।
- – अपनी इसी खूबी के कारण आम तौर पर निवेशक अपने रिटायरमेंट के अलावा बच्चों के हायर एजुकेशन, मैरिज समेत अलग-अलग महत्वपूर्ण लक्ष्यों के लिए इसमें निवेश करना चाहते हैं।
- – इस स्कीम में पे-आउट यानी भुगतान का इंटरवल अपनी सुविधा के हिसाब से तय करने की सुविधा भी रहती है।
- – गारंटीड इनकम प्लान में निवेश काफी सुरक्षित भी माना जाता है, क्योंकि इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDAI) के नियमों के तहत बीमा कंपनियों के लिए ऐसे प्लान पर दी गई गारंटी को पूरा करना जरूरी है।
- – IRDAI के नियमों के मुताबिक बीमा कंपनियों को इस गारंटी को पूरा करने के लिए कैपिटल एडिक्वेसी मेंटेन करनी पड़ती है और मिनिमम 150 फीसदी का सॉल्वेंसी मार्जिन भी रखना होता है।
- – टैक्स सेविंग गारंटीड इनकम प्लान के लिए दिए गए प्रीमियम पर आयकर कानून के सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट मिलती है। मैच्योरिटी पे-आउट पर भी सेक्शन 10 (10D) के टैक्स में छूट का लाभ मिलता है।
- – गारंटीड इनकम प्लान में इनवेस्टमेंट की मदद से निवेशक अपने पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई भी कर सकते हैं। जिससे पोर्टफोलियो के रिस्क और अस्थिरता में कमी आती है।
गारंटीड इनकम प्लान की कमियां क्या हैं
गारंटीड इनकम प्लान में पैसे लगाने के ऊपर बताए गए तमाम फायदों के अलावा कुछ ऐसी बातें भी हैं, जिन्हें इसकी कमी माना जा सकता है। मिसाल के तौर पर गारंटीड इनकम प्लान में किए गए इनवेस्टमेंट पर फीस ज्यादा देनी पड़ती है, जबकि रिटर्न का स्तर कई और विकल्पों की तुलना में कम होता है। असल में गारंटीड इनकम प्लान के तहत जमा फंड के बड़े हिस्से का निवेश बीमा कंपनियां सरकारी बॉन्ड में करती हैं, जिनमें सुरक्षा तो मिलती है, लेकिन रिटर्न ज्यादा नहीं होता। महंगाई को एडजस्ट करने के बाद तो लंबी अवधि में यह रिटर्न और भी कम हो जाता है। अगर इस प्लान के लंबे टेन्योर के दौरान इंफ्लेशन लगातार बढ़ता रहे, तो 10-15 साल बाद मिलने वाली फिक्स्ड इनकम की रियल वैल्यू और भी कम हो जाएगी। गारंटीड इनकम प्लान असल में बीमा कंपनियों के एंडोमेंट प्लान का ही एक दूसरा नाम है, जिनमें रेट ऑफ रिटर्न आमतौर पर कम ही रहता है।
आपके लिए क्या है सही?
अगर आप अपने निवेश और इंश्योरेंस से जुड़ी जरूरतों के लिए गारंटीड इनकम प्लान में निवेश करने की सोच रहे हैं, तो ऊपर दी गई तमाम खूबियों और कमियों को अच्छी तरह समझ लें। इस बात पर भी जरूर गौर करना चाहिए कि बीमा और निवेश को एक साथ मिक्स करना कितना सही है। इंश्योरेंस के लिए टर्म प्लान जैसे सस्ते और बेहतर कवरेज देने वाले ऑप्शन मौजूद हैं, जबकि टैक्स सेविंग इनवेस्टमेंट के लिए पीपीएफ जैसे फिक्स्ड इनकम वाले विकल्पों से लेकर इक्विटी आधारित म्यूचुअल फंड्स तक तमाम ऑप्शन मौजूद हैं। बहरहाल, इस बारे में कोई भी फैसला आपको अपनी आर्थिक जरूरतों और जोखिम उठाने की क्षमता को ध्यान में रखते हुए ही करना चाहिए।