अपना बिजनेस शुरू करने के लिए पढ़ाई बीच में छोड़ देने वालों की लिस्ट में अब दो और सफल नाम जुड़ गए हैं। महज 19 साल के आदित पलीचा (Aadit Palicha) और कैवल्य वोहरा (Kaivalya Vohra) ने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी (Stanford University) की पढ़ाई छोड़ ग्रॉसरी डिलीवर (Grocery Delivery) करने वाला स्टार्टअप शुरू किया। अब दोनों युवाओं के इस साहसी प्रयास को इंवेस्टर्स का भरोसा भी मिलने लगा है। दोनों युवाओं के स्टार्टअप जेप्टो (Zepto) ने नए फंडिंग राउंड में 60 मिलियन डॉलर (करीब 4.5 हजार करोड़ रुपये) जुटाने में सफलता प्राप्त की है।

इतनी आंकी गई Zepto की वैल्यूएशन

दस मिनट में ग्रॉसरी डिलीवर करने वाले स्टार्टअप जेप्टो ने एक बयान में बताया कि उसने ताजा फंडिंग राउंड (Funding Round) में 60 मिलियन डॉलर जुटाए हैं। जेप्टो को यह फंडिंग वाई कंबिनेटर (Y Combinator) और ग्लेड ब्रुक कैपिटल (Glade Brook Capital) जैसे इंवेस्टर्स से मिली है। इस फंडिंग राउंड में जेप्टो की वैल्यूएशन 200 से 300 मिलियन डॉलर के बीच आंके जाने की बात बताई जा रही है। इससे जेप्टो को भारत में तेजी से बढ़ते ग्रॉसरी डिलीवरी मार्केट में पैर पसारने में मदद मिलेगी।

SoftBank और Google से फंडेड कंपनियों से मुकाबला

जेप्टो को पहले से ही नेक्सस वेंचर (Nexus Venture), ग्लोबल फाउंडर्स (Global Founders) समेत लैची ग्रूम (Lachy Groom) और नीरज अरोड़ा (Neeraj Arora) जैसे एंजल इंवेस्टर्स (Angel Investors) से समर्थन प्राप्त है। स्टार्टअप को ग्रॉसरी डिलीवरी मार्केट में सॉफ्टबैंक ग्रुप कॉर्प (SoftBank Group Corp) से समर्थन प्राप्त ग्रोफर्स (Grofers) और गूगल (Google) से फंडिंग प्राप्त डुंजो (Dunzo) जैसी कंपनियों का सामना करना पड़ेगा। जेप्टो अभी बेंगलुरू, मुंबई, दिल्ली, गुड़गांव और चेन्नई के बाजार में उपस्थित है। कंपनी आने वाले समय में हैदराबाद, पुणे, कोलकाता जैसे शहरों में काम बढ़ाने की योजना लेकर चल रही है।

पिछले साल हुआ था Stanford University में एडमिशन

पलीचा और वोहरा ने पिछले साल स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रतिष्ठित कंप्यूटर साइंस (Computer Science) इंजीनियरिंग प्रोग्राम में एडमिशन लिया था। हालांकि दोनों ही अपना बिजनेस शुरू करने का मन बनाए हुए थे। इसी कारण उन्होंने साल भर में ही पढ़ाई छोड़ दी और ग्रॉसरी डिलीवरी के क्षेत्र में उतरने का निर्णय लिया।

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तेजी से बढ़ रहा है Quick Commerce का कांसेप्ट

कोरोना महामारी और लॉकडाउन आदि के चलते भारत में पिछले साल-डेढ़ साल में ग्रॉसरी डिलीवरी का मार्केट काफी तेजी से बढ़ा है। इसी क्षेत्र में ऑर्डर करने के चंद मिनटों के भीतर डिलीवरी करने का कांसेप्ट लोकप्रिय हो रहा है। इसे क्विक कॉमर्स (Quick Commerce) या क्यू कॉमर्स (Q Commerce) नाम दिया गया है। इसमें कंपनियां कई छोटे-छोटे वेयरहाउस (Micro Warehouse) बनाती हैं, जिन्हें क्लाउड या डार्क स्टोर के नाम से जाना जाता है। चूंकि ऐसे स्टोर हर इलाके में बनाए जाते हैं, इससे कंपनियों को ऑर्डर मिलने के चंद मिनटों में डिलीवरी करने की सुविधा मिलती है।