सरकार ने सोमवार को रक्षा, उड्डयन, फार्मा और रिटेल में एफडीआई की सीमा बढ़ा दी। इस कदम के जरिए सरकार उम्‍मीद कर रही है भारत में नौकरियां बढ़ेंगी और अर्थव्‍यवस्‍था को रफ्तार मिलेगी। वैश्विक स्‍तर पर मंदी का माहौल है ऐसे परिदृश्‍य में भारत आने वाले दो सालों में भी तुलनात्‍मक रूप से निवेशकों की पसंदीदा जगह होगी। इसके चलते एफडीआई को लेकर सरकार की नीति से देश में निवेश का माहौल बनने की उम्‍मीद की जा रही है। बहुराष्‍ट्रीय कंपनियां उभरती हुई अर्थव्‍यवस्‍थाओं में बेहतर रिटर्न देने वाले बाजार की तलाश में हैं।

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पिछले साल नवंबर में सरकार ने एफडीआई का दायरा बढ़ाने का काम शुरू किया था। इसके तहत निर्माण, एयरपोर्ट सेवा, बैंकिंग, रक्षा, ब्रॉडकास्टिंग समेत एक दर्जन क्षेत्रों को विदेशी निवेश के लिए खोल दिया था। सोमवार को किए गए एलान इसी नीति का अगला हिस्‍सा है। हालांकि सरकार इससे भी ज्‍यादा बड़े कदम उठा सकती थी। क्‍योंकि देश में अभी भी कारोबार करने में आसानी और कुछ सेक्‍टर्स में एफडीआई की बाध्‍यता के कारण कई निवेशक संतुष्‍ट नहीं है।

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भारतीय कंपनियों में विदेशी एयरलाइंस की हिस्‍सेदारी को 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत किया जा सकता है। विदेशी विमानन कंपनियां भारत के बढ़ते बाजार में बड़ी हिस्‍सेदारी खरीदने को इच्‍छुक भी हैं। साथ ही ऐसा करने के सरकार एयर इंडिया में भी निवेश करा सकती थी। वहीं फार्मा सेक्‍टर में विदेशी निवेशक एफडीआर्इ सीमा के बजाय कीमतों पर लगाम से चिंतित हैं।

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दवा कंपनियों के लिए चिंता की बात यह है कि वे दवा की नियंत्रित कीमतों के चलते नुकसान उठा रही हैं। साल 2015-16 के दौरान भारत में 55.46 बिलियन डॉलर की एफडीआई आर्इ थी। इससे पहले भारत में 36.04 बिलियन डॉलर का निवेश हुआ था। निर्माण जैसे क्षेत्र में एफडीआई के बढ़ने से रोजगार बढ़ेगा जिसकी अभी सबसे ज्‍यादा जरूरत है।

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