केंद्र सरकार कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) और कर्मचारी बीमा योजना (EPS) में बड़ा बदलाव कर सकती है। ईटी की खबर के अनुसार सरकार की तरफ से ईपीएफ और ईपीएस में बड़े संशोधन को लेकर मसौदा बिल तैयार कर लिया गया है। मसौदा बिल के अनुसार पीएफ खाता धारक अपने ईपीएस के पैसे को नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) में ट्रांसफर कर सकेंगे।
मसौदा बिल में दूसरा प्रस्ताव मौजूदा ‘मजदूरी’ (Wage) की परिभाषा के स्थान पर कोड ऑफ वेजेस, 2019 लागू करना है। मजदूरी की नई परिभाषा के ईपीएफ अंशदान पर प्रभाव पड़ सकता है। इसमें भी विशेषकर उन लोगों पर प्रभाव पड़ेगा जिनकी बेसिक सैलरी 15000 रुपये से कम है।
खबर के अनुसार केंद्र की तरफ से यह प्रावधान कंपनी के दिवालिया होने की स्थिति में कर्मचारियों के हितों की रक्षा करने के उद्देश्य से किया गया है। कंपनी के दिवालिया होने की स्थिति में कंपनी के कर्ज से पहले कर्मचारियों के पीएफ अंशदान के भुगतान करने को प्राथमिकता दी जाएगी।
श्रम व रोजगार मंत्रालय की तरफ से कर्मचारी भविष्य निधि और अन्य प्रावधान (संशोधन) बिल, 2019 का मसौदे की प्रति को विभाग की वेबसाइट पर अपलोड किया जा चुका है। इस मसौदे पर अपनी राय या टिप्पणी देने के लिए अंतिम तारीख 22 सितंबर 2019 तय की गई है।
ईवाई इंडिया के डायरेक्टर पुनीत गुप्ता ने कहा कि मसौद बिल के प्रस्ताव से मौजूदा और नए ईपीएफ सदस्य ईपीएस से एनपीएस में पैसे जमा करा सकेंगे। मौजूदा नियम के अनुसार बेसिक सेलरी का 12 फीसदी हिस्सा कर्मचारी ईपीएफ खाते में अंशदान करना होता है। वहीं, नियोक्ता की तरफ से भी समान राशि जमा की जाती है। बिल में एनपीएस से दुबारा ईपीएस में भी स्विच करने का प्रावधान होगा।
वहीं कर्मचारियों की हितों की रक्षा के लिए पीएफ अंशदान का कर्ज पर भुगतान करने की प्राथमिकता के फैसले के बाद कंपनी की संपत्तियों को बेचने के बाद जो भी राशि का प्रयोग पहले कर्मचारियों के ईपीएफ अंशदान के भुगतान के लिए किया जाएगा।