सरकार ने विमानों के टिकट रद्द कराने के शुल्क की सीमा तय करने, विमान में चढने से वंचित रखने पर ज्यादा मुआवजे और अतिरिक्त सामान ले जाने पर एयरलाइनों द्वारा लिए जाने वाले शुल्क को घटाने का प्रस्ताव रखा है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने यात्री केंद्रित उपायों का सुझाव देते हुए कहा कि एयरलाइनों को उड़ान रद्द होने पर यात्रियों को सभी वैधानिक करों का भुगतान करना होगा।
विमानन नियामक नागरिक उड्डयन महानिदेशालय( डीजीसीए) ने प्रस्ताव दिया कि ”किसी भी परिस्थिति में रद्द करने का शुल्क मूल किराये से ज्यादा नहीं होगा” और एयरलाइनें किराए वापस करने की प्रक्रिया के लिए अतिरिक्त शुल्क नहीं ले सकतीं। यदि 24 घंटे के अंदर फ्लाइट रद्द करने की घोषणा की जाती है तो 10 हजार रुपये तक की मुआवजा राशि देनी होगी। साथ ही यह रिफंड सभी तरह की टिकटों यानि प्रमोशनल और स्पेशल रेट पर भी देय होगा।
चेक्ड इन बैगेज के संबंध में एयरलाइनें सामान के 15 किलोग्राम की सीमा से ज्यादा वजन होने पर 20 किलोग्राम तक के लिए प्रति किलोग्राम 100 रुपये का शुल्क लेंगी। इस समय 15 किलोग्राम की सीमा से अधिक सामान होने पर प्रति किलोग्राम के लिए 300 रुपये का शुल्क लिया जाता है। केवल एयर इंडिया 23 किलोग्राम तक निशुल्क सामान ले जाने की मंजूरी देता है। विमान में क्षमता से ज्यादा बुकिंग होने के कारण यात्रा से वंचित रखे जाने पर सरकार ने यात्रियों के लिए तय शर्तों के साथ 20,000 रुपये तक के मुआवजे का प्रस्ताव दिया है।
नागरिक उड्डयन मंत्री अशोक गजपति राजू ने कहा कि यात्रियों से समस्याओें के सही समय के भीतर ना सुलझाए जाने की शिकायतें मिलने के बाद ये उपाय प्रस्तावित किए गए हैं। नये उपाय लाने के लिए डीजीसीए ने तीन नागरिक उड्डयन जरूरतों और एक वायु यातायात सर्कुलर में बदलाव का सुझाव दिया है। अंतिम फैसला लिए जाने से पहले उन्हें सार्वजनिक विचार विमर्श के लिए रखा जाएगा।
बजट सत्र के दौरान संसद में पेश किए गए आंकड़े के अनुसार इस साल जनवरी-मार्च के दौरान दस भारतीय एयरलाइनों ने कुल 18,512 उड़ानों में देरी की। इनमें बजट एयरलाइन इंडिगो ने सबसे ज्यादा 5,426 उड़ानों में देरी की। इसके बाद जेट एयरलाइन ने 5,040, एयर इंडिया ने 3,111 और स्पाइसजेट ने 2,205 उड़ानों में देरी की।
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