प्रधानमंत्री ने कहा कि एक राष्ट्रव्यापी अभियान के तहत किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिया जाएगा क्योंकि सरकार मृदा को बेहतर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने ट्विटर पर कहा कि विश्व मृदा दिवस के मौके पर हम अपनी मिट्टी को बेहतर बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। मिट्टी की स्थिति अच्छी होगी तो हमारे किसान ज्यादा संपन्न होंगे। उन्होंने कहा कि शनिवार से एक राष्ट्रव्यापी पहल की जाएगी जिसमें किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड और अन्य जानकारियां मिलेंगी। किसानों और अधिकारियों को शुभकामनाएं।

उन्होंने कहा कि सरकार की मृदा स्वास्थ्य कार्ड, मृदा की स्थिति में सुधार करने की कोशिश है। इसके तहत किसानों को मृदा संबंधी मुद्दों की जानकारी दी जाएगी। फरवरी में मोदी ने राजस्थान के सूरतगढ़ में मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना शुरू की थी। इसका लक्ष्य मिट्टी की कमजोर पड़ती गुणवत्ता को रोकना और कृषि पैदावार बढ़ाना है।

इस योजना के तहत अगले तीन साल में देश के सभी 14.5 करोड़ किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड देने का प्रस्ताव है। कार्ड पर कृषि भूमि के लिए जरूरी उर्वरक की फसलवार सिफारिश की जाएगी। इससे किसानों को मृदा की स्थिति और उर्वरक के उचित तरीके से उपयोग में मदद मिलेगी।

कृषि मंत्रालय के आंकड़े के मुताबिक सरकार ने 2015-16 में 102.61 लाख मृदा नमूने इकट्ठा करने का लक्ष्य रखा है। पिछले महीने तक 55 लाख से अधिक नमूने के संग्रह में कामयाब रहे जिनमें से 31.43 लाख नमूनों का परीक्षण किया गया और 26.53 मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किए गए हैं।

योजना के परिचालन दिशानिर्देश के मुताबिक 2.5 हेक्टेयर सिंचित भूमि और 10 हेक्टेयर वर्षा सिंचित भूमि से नमूनों का संग्रह और परीक्षण किया जाना है। इस महत्त्वाकांक्षी योजना की घोषणा पिछले साल जुलाई में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने पहले बजट में की थी।

मंत्रालय की प्रमुख योजना के तहत अगले तीन साल के लिए 568 करोड़ रुपए का आबंटन हुआ है। यह योजना इसलिए अहम है कि उर्वरक के असंतुलित उपयोग से देशभर के ज्यादातर हिस्सों में पोषक तत्त्वों नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटेशियम, सल्फर, बोरोन, जस्ता, तांबा आदि की कमी हो गई है।