बीएसएनल, एयर इंडिया की तरह ही सरकारी बीमा कंपनियां भी भारी घाटे में चल रही हैं। बता दें कि सरकारी बीमा कंपनी नेशनल इंश्योरेंस, ओरियंटल इंश्योरेंस और यूनाइटेड इंडिया को कुल 4,200 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है। यह घाटा बाकी बची 23 कंपनियों के लाभांश से भी ज्यादा है। नेशनल इंश्योरेंस, ओरियंटल इंश्योरेंस और यूनाइटेड इंश्योरेंस ने हाल ही में अपने आर्थिक नतीजों का ऐलान किया है।
ऐसी खबरें हैं कि सरकार अब इन इंश्योरेंस कंपनियों के विलय या फिर इन्हें लिस्टेड करने पर विचार कर रही है। चूंकि इन कंपनियों की खराब फाइनेंशियल परफॉर्मेंस को देखते हुए इनमें बड़ी मात्रा में पूंजी लगाने की जरुरत है। गौरतलब है कि वित्तीय वर्ष 2018 की तुलना में वित्तीय वर्ष 2019 में इन कंपनियों की फाइनेंशियल परफॉर्मेंस बिल्कुल उलट गई है।
वित्तीय वर्ष 2018 में उक्त तीनों कंपनियों के साथ ही न्यू इंडिया इंश्योरेंस ने कुल 2,543 करोड़ रुपए का लाभ कमाया था। वहीं इस साल नेशनल, ओरियंटल और यूनाइटेड इंडिया की कहानी बिल्कुल ही उलट हो गई है। हालांकि न्यू इंडिया इंश्योरेंस ने इस साल भी 645 करोड़ रुपए का लाभ कमाया है। उल्लेखनीय है कि वित्तीय वर्ष 2019 में प्राइवेट इंश्योरेंस कंपनियों ने 3,922 करोड़ रुपए का लाभ कमाया है।
[bc_video video_id=”6071863554001″ account_id=”5798671092001″ player_id=”JZkm7IO4g3″ embed=”in-page” padding_top=”56%” autoplay=”” min_width=”0px” max_width=”640px” width=”100%” height=”100%”]
पब्लिक सेक्टर की इंश्योरेंस कंपनियों के खराब प्रदर्शन के पीछे अंडरराइटिंग घाटे को बड़ी वजह माना जा रहा है। बता दें कि अंडरराइटिंग घाटा, वह राशि है, जिसे इंश्योरेंस कंपनी पॉलिसी के क्लेम के रुप में देती है। वहीं प्राइवेट इंश्योरेंस कंपनियों के कुल लाभांश में इस साल 8% की कमी आयी है।
माना जा रहा है कि बीते साल इंश्योरेंस कंपनियों ने फसल बीमा के मामले में बहुत अच्छा किया था। जिससे कंपनियों का लाभ बढ़ा, लेकिन इस साल फसल बीमा उतना अच्छा नहीं रहा, जिससे कंपनियों का लाभ पिछले साल के मुकाबले कुछ घटा है।