सोना भारत में सिर्फ एक धातु के तौर पर नहीं बल्कि एक परंपरा के तौर पर खरीदा और सहेजा जाता है। शादी हो, त्यौहार हो या निवेश- सोने का संबंध भारतीयों की भावनाओं से गहराई तक जुड़ा है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) ने 2025 की तीसरी तिमाही (जुलाई–सितंबर) की रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में भारतीय अर्थव्यवस्था और उपभोक्ता व्यवहार दोनों पर गहराई से विश्लेषण किया गया है।

रिपोर्ट से पता चलता है कि कुल सोने की मांग में 16% की गिरावट दर्ज की गई है। लेकिन मूल्य के लिहाज से 23% की बढ़ोत्तरी देखने को मिली है। यानी, लोग कम मात्रा में सोना खरीद रहे हैं लेकिन ऊंची कीमतों के कारण बाजार का मूल्य पहले से कहीं अधिक है।

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कम वॉल्यूम पर ज्यादा वैल्यू
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के आंकड़ों के अनुसार, जुलाई से सितंबर 2025 के बीच भारत में कुल 209.4 टन सोने की खपत हुई। जबकि 2024 की इसी अवधि में यह आंकड़ा 248.3 टन था। हालांकि, सोने की कुल वैल्यू 2,03,240 करोड़ रुपये तक पहुंच गई जो 2024 की 1,65,380 करोड़ रुपये की तुलना में 23% की बढ़ोतरी दिखाती है। इसका प्रमुख कारण है- सोने की रिकॉर्ड ऊंची कीमतें।

2025 की तीसरी तिमाही में औसत सोने की कीमत 97,074 रुपये प्रति 10 ग्राम रही। जबकि पिछले साल यह केवल 66,614 रुपये थी। यानी कीमतों में लगभग 46% की सालाना बढ़ोतरी हुई है।

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ज्वेलरी की मांग: ऊंची कीमतों का असर, लेकिन इमोशन है सोना
भारतीय घरों में सोना पारंपरिक रूप से गहनों के रूप में ही सबसे अधिक खरीदा जाता है। लेकिन इस तिमाही में ज्वेलरी की मांग में 31% की गिरावट दर्ज की गई। 2024 की तीसरी तिमाही में ज्वेलरी मांग 171.6 टन थी जो 2025 में घटकर 117.7 टन रह गई। हालांकि, कीमतों के कारण कुल मूल्य लगभग स्थिर रहा- 1,14,300 करोड़ से थोड़ा कम होकर 1,14,270 करोड़ रुपये।

इसका मतलब है कि उपभोक्ता कम मात्रा में लेकिन महंगे गहने खरीद रहे हैं। त्योहार और शादियों के मौसम में भावनात्मक जुड़ाव के चलते लोग अभी भी सोने के गहनों को प्राथमिकता दे रहे हैं भले ही मात्रा में कमी आई हो।

निवेश मांग: ‘सेफ हेवन’ के रूप में चमका सोना
सोने की ज्वेलरी की मांग में भले ही गिरावट आई लेकिन निवेश मांग (Investment Demand) में बड़ा उछाल देखा गया। 2025 की तीसरी तिमाही में निवेश के लिए खरीदे गए सोने की मात्रा 91.6 टन रही जो 2024 के 76.7 टन की तुलना में 20% अधिक है।

मूल्य के लिहाज से देखें तो यह 51,080 रुपये करोड़ से बढ़कर 88,970 करोड़ रुपये पहुंच गई यानी 74% की भारी वृद्धि।

इस उछाल से साफ है कि भारतीय निवेशक सोने को एक लॉन्गटर्म सुरक्षित संपत्ति (Safe-Haven Asset) के रूप में देख रहे हैं। शेयर बाजार की अस्थिरता, वैश्विक आर्थिक तनाव और महंगाई ने निवेशकों को फिर से सोने की ओर मोड़ा है।

रीसाइक्लिंग और आयात: सप्लाई साइड की कहानी

रीसाइक्लिंग (Recycling)
2025 की तीसरी तिमाही में भारत में 21.8 टन सोना रीसायकल हुआ जबकि 2024 में यह आंकड़ा 23.4 टन था। यह 7% की गिरावट बताता है। यह इस बात का स्पष्ट संकेत है कि उपभोक्ता अपने पुराने गहनों को बेचने के बजाय संभाल कर रख रहे हैं क्योंकि वे भविष्य में और ऊंची कीमतों की उम्मीद कर रहे हैं।

आयात (Imports)
सोने का आयात 37% घटकर 308.2 टन से 194.6 टन रह गया। कम मांग और ऊंची कीमतों ने आयात को प्रभावित किया है। इसके अलावा, वैश्विक स्तर पर डॉलर की मजबूती और तेल की ऊंची कीमतों ने भी भारत के व्यापार संतुलन पर असर डाला है।

वैश्विक प्रभाव और भारत की स्थिति

वैश्विक स्तर पर 2025 में सोने की औसत कीमत US$ 3,456 प्रति औंस रही जो पिछले साल के US$ 2,474 से कहीं अधिक है। इस रिकॉर्ड स्तर ने सभी देशों में मांग को प्रभावित किया है। लेकिन भारत जैसे देशों में सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व के कारण सोने की खपत पूरी तरह नहीं रुकी। भारत अब भी दुनिया के शीर्ष दो सोना उपभोक्ताओं (चीन और भारत) में शामिल है।

वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल इंडिया के रीजनल सीईओ सचिन जैन ने रिपोर्ट पर टिप्पणी करते हुए कहा, “भारत के गोल्ड मार्केट ने तीसरी तिमाही में अपना लचीलापन (resilience) साबित की है। कुल वैल्यू में 23% की वृद्धि यह दिखाती है कि सोना अभी भी निवेशकों और उपभोक्ताओं के लिए भरोसेमंद विकल्प है। निवेश मांग में 74% की बढ़त इस बात का संकेत है कि भारतीय उपभोक्ता सोने को लंबी अवधि के निवेश के रूप में देख रहे हैं।”

उन्होंने यह भी कहा कि ज्वेलरी की मांग में गिरावट के बावजूद उसकी वैल्यू लगभग समान रही जो भारतीय उपभोक्ताओं की मानसिकता को दिखाती है, “सोना भले महंगा हो पर छोड़ने लायक नहीं।”

त्योहार और शादी सीजन: रौनक लौटने की उम्मीद

रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर से जनवरी के बीच आने वाला त्योहारी और शादी का मौसम सोने की बिक्री के लिए फैसला होगा। दशहरा, दिवाली, धनतेरस और शादी के सीजन में सोने की पारंपरिक मांग हमेशा उछाल पर रहती है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल का अनुमान है कि उपभोक्ताओं की भावना सकारात्मक है और खुदरा विक्रेता (retailers) इस सीजन के लिए पूरी तैयारी में हैं।

जनवरी से सितंबर 2025 तक कुल मांग 462.4 टन रही है और पूरे वर्ष की मांग 600 से 700 टन के बीच रहने की उम्मीद है यानी रिकॉर्ड स्तर के करीब।

भारतीय बाजार के स्वभाव की बात करें मूल्य संवेदनशील है लेकिन सांस्कृतिक रूप से बाजार प्रतिबद्ध है। भारतीय उपभोक्ता कीमतों के प्रति सतर्क हैं पर त्यौहारों और शादियों में सोना खरीदना ‘जरूरी खर्च’ मानते हैं।

निवेश प्रवृत्ति का बढ़ना: युवा निवेशक अब डिजिटल गोल्ड, गोल्ड ईटीएफ और सोवरेन गोल्ड बॉन्ड जैसे साधनों की ओर बढ़ रहे हैं।

कम आयात और मजबूत घरेलू भंडार: रीसाइक्लिंग घटने का मतलब है कि लोग अपने पास का सोना ‘सुरक्षित संपत्ति’ मान रहे हैं।

ऊंची कीमतों का दोहरा असर: एक ओर ये उपभोक्ताओं को सीमित कर रही हैं लेकिन दूसरी ओर सोने की वैल्यू को ऊपर बनाए रख रही हैं।

निष्कर्ष: 2025 में सोना फिर साबित कर रहा है अपनी ‘सुरक्षित चमक’
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की ताजा रिपोर्ट यह साफ करती है कि 2025 में भारत का सोना बाजार संरचनात्मक रूप से मजबूत बना हुआ है। हालांकि मात्रा में गिरावट दिखी है, लेकिन मूल्य वृद्धि, निवेश मांग और स्थिर उपभोक्ता भावना इस बाजार की मजबूती का प्रमाण हैं। त्योहारी और शादी सीजन के साथ-साथ निवेशकों का भरोसा सोने को फिर से ऊंचाई पर ले जा सकता है। सोने का सफर, चाहे भावनाओं में हो या निवेश में- भारत में हमेशा ‘सुनहरा’ ही रहने वाला है।