लोकसभा चुनाव से पहले सरकार को आर्थिक मोर्चे पर शुक्रवार को बड़ा झटका लगा। रेटिंग एजेंसी फिच ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए भारत की विकास दर 6.8 फीसदी रहने का अनुमान व्यक्त किया है। इससे पहले एजेंसी आगामी वित्त वर्ष में विकास दर के 7.3 फीसदी रहने का अनुमान व्यक्त किया था।
एजेंसी का कहना है कि भारत की विकास दर में पहले जैसी तेजी रहने की उम्मीद कम है। वैश्विक आर्थिक परिदृश्य के संबंध में फिच ने कहा, ‘अर्थव्यवस्था में पहले जैसी गति की कमी को देखते हुए हमने अगले वित्तीय वर्ष के लिए विकास दर में अनुमान में कटौती की है लेकिन इसके बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर अच्छी बनी हुई है।
वित्त वर्ष 2019-20 में 6.8 फीसदी के बाद वित्त वर्ष 2021 में इसके 7.1 फीसदी रहने का अनुमान है। ‘ इससे पहले फिच ने पिछले साल वित्त वर्ष 2019 के लिए भारत की अनुमानित विकास दर में 7.8 से कटौती कर 7.2 कर दी थी। रेटिंग एजेंसी ने वित्त वर्ष 2020 और 2021 के अनुमानित विकास दर में कटौती कर क्रमशः 7.3 से 7 फीसदी और 7.3 से 7.1 फीसदी कर दिया।
फिच के अनुसार आरबीआई ने मौद्रिक नीति के संबंध में अधिक उदार नीति अपनाई है। आरबीआई ने इस साल फरवरी में हुई अपनी बैठक में ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की कमी की थी। आरबीआई की तरफ से कहा गया था कि हम अपने दरों को लेकर अपने नजरिये में बदलाव किया है। हम मुद्रा स्फीति के लक्ष्यों के उम्मीद से कम रहने के बीच 2019 में भी 25 बेस प्वाइंट की कमी की उम्मीद कर रहे हैं।
इसके अतिरिक्त पहले के अनुमान की तुलना में वैश्विक मौद्रिक परिस्थितियां भी आसान हुई हैं। इसमें कहा गया कि महंगाई के मोर्चे पर किसानों को वित्त वर्ष 2019-20 के लिए किसानों को नकद हस्तांतरण बढ़ाने की योजना है। फिच ने कहा कि आने वाले महीनों में तेल की कीमतों में नरमी, खाद्य पदार्थों की कीमतों में तेजी की उम्मीद के बीच ग्रामीण परिवारों की आय और खपत को सहयोग करेंगे।