देश में आर्थिक मंदी का असर की विभिन्न सेक्टर की ग्रोथ में देखने को मिल रहा है। त्योहारी सीजन करीब होने के बावजूद विभिन्न सेक्टर्स से जुड़े आंकड़े निराशाजनक तस्वीर पेश कर रहे हैं। इस बीच एफएमसीजी इंड्रस्टी से भी अच्छी खबर नहीं मिल रही है।

वैश्विक ब्रोकरेज फर्म क्रेडिट सुइस की रिपोर्ट के अनुसार रेवेन्यू ग्रोथ के लिहाज से एफएमसीजी सेक्टर की हालत पिछले 15 साल में सबसे खराब रहने के आसार है। रिपोर्ट के अनुसार मंदी भले ही 2016 से दस्तक दे रही हो लेकिन नोटबंदी समेत कई अन्य कारकों की वजह से पिछले दो साल में आर्थिक संकट और गंभीर हुआ है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि हमारे आकलन के अनुसार मंदी 2016 से ही शुरू हो गई थी। नोटबंदी और जीएसटी के कारण यह पहले 2017 तक दबी हुई थी। देश के एफएमसीजी सेक्टर में रेवेन्यू ग्रोथ अभी 7 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। रिपोर्ट में वित्त वर्ष की दूसरी और तीसरी तिमाही में रेवेन्यू ग्रोथ में 5 फीसदी की कमी का अनुमान जताया गया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे पहले इतनी कमी पिछली बार साल 2000-03 में देखने को मिली थी। मालूम हो की बीएसई एमएमसीजी इंडेक्स साल 2019 में अब तक 7.4 फीसदी तक गिर चुका है। हालांकि, व्यापक रूप से सेंसेक्स में 1.4 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। वैश्विक फर्म ने ब्रिटेनिया और पिडिलाइट की रेटिंग को डाउनग्रेड कर दिया। ब्रिटेनिया को डाउनग्रेड करने की वजह उसके कोर बिस्कुट बिजनेस में कमी आना है। कंपनी का 80 फीसदी रेवेन्यू बिस्कुट बिजनेस से आता है।

रेटिंग डाउनग्रेड करने के बाद ब्रिटेनिया के शेयरों में करीब 4 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। वहीं, पिडिलाइट के शेयरों में भी 2 फीसदी की गिरावट देखने को मिली। इस सेक्टर में सुस्ती के बावजूद क्रेडिट सुइस ने नेस्ले इंडिया, डाबर इंडिया और कोलगेट पामोलिव को तरजीह दी है। डाबर और गोदरेज कंज्यूमर को वित्त वर्ष 2020 के शेष हिस्से में अपनी बिक्री में सुधार होने की उम्मीद है।

इस बीच इन्वेस्टेक सिक्योरिटीज ने 16 सितंबर को कहा था कि एफएमसीजी इंडस्ट्री की ग्रोथ पिछली दो तिमाही से काफी धीमी रही है। इसके मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में भी कम रहने का अनुमान है।