गौतम अडानी के अडानी ग्रुप की एक डील काफी चर्चा में है। ऑस्ट्रेलिया के ABC न्यूज नेटवर्क की एक रिपोर्ट के मुताबिक अडानी ग्रुप ने म्यांमार सेना-नियंत्रित एक कंपनी के साथ कॉमर्शियल डील की है।
ऑस्ट्रेलियाई सेंटर फॉर इंटरनेशनल जस्टिस और जस्टिस फॉर म्यांमार की ओर से जारी रिपोर्ट का हवाला देते हुए ABC न्यूज नेटवर्क ने लिखा है कि इस डील के लिए अडानी ग्रुप ने 52 मिलियन डॉलर का भुगतान किया है। हालांकि, इस रिपोर्ट पर अडानी ग्रुप की भी प्रतिक्रिया आ गई है। ग्रुप ने रिपोर्ट को खारिज कर दिया है।
क्या है रिपोर्ट में: रिपोर्ट में बताया गया कि अडानी ग्रुप की अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन (APSEZ) म्यांमार में एक प्रस्तावित पोर्ट के लिए म्यांमार सेना-नियंत्रित कंपनी से बातचीत कर रही थी। इस रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि अडानी पोर्ट, म्यांमार इकनॉमिक कॉर्पोरेशन (MEC) के साथ मिलकर एक कंटेनर पोर्ट डेवलप कर रही है।
रिपोर्ट के मुताबिक प्रोजेक्ट के लिए अडानी की कंपनी MEC को 30 मिलियन डॉलर ‘लैंड लीस फीस’ और 22 मिलियन डॉलर ‘लैंड क्लीयरेंस फीस’ में दिया है। MEC को म्यांमार की मिलिट्री जुंटा फंड करती है। MEC पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगाए हैं।
रिपोर्ट में वीडियो और कुछ तस्वीरें भी प्रकाशित की गई हैं। दावा किया गया है कि इन तस्वीरों में अडानी पोर्ट्स के सीईओ करन अडानी हैं और उन्होंने जुलाई 2019 में सेना के प्रमुख मीन आंग लाइंग से मुलाकात की थी। हालांकि, जिन तस्वीरों और वीडियो फुटेज का जिक्र किया गया है वो साल 2019 की बताई जा रही है।
सुब्रमण्यन स्वामी ने उठाए सवाल: बीजेपी नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यन स्वामी ने इस रिपोर्ट का जिक्र करते हुए ट्वीट किया है। सुब्रमण्यन स्वामी ने कहा है कि अगर हम लोकतंत्र में विश्वास करते हैं तो हमारे पास आत्मा और विवेक होना चाहिए। हर चीज की कीमत नहीं हो सकती या उसे बिक्री पर नहीं रखा जा सकता।
https://t.co/5drsYlHuHJ
More on Adani deals and payments to Myanmar crudity called Army. If we believe in democracy then we must a have soul and conscience. Everything cannot have a price or be put on sale. Why did we participate in Yangong on military day? Only dictatorships did— Subramanian Swamy (@Swamy39) March 31, 2021
अडानी समूह ने क्या कहा: इस पूरे मामले पर अडानी समूह की ओर से प्रतिक्रिया दी गई है। समूह के एक प्रवक्ता ने प्रकाशित तस्वीरों को लेकर कहा, “म्यांमार में अडानी समूह के निवेश को गलत तरीके से पेश करने वाली हालिया मीडिया रिपोर्ट पर कुछ तथ्यात्मक स्पष्टीकरण जरूरी है। साल 2019 में, भारत सरकार ने म्यांमार के जनरल मीन आंग लाइंग की मेजबानी की थी।
जनरल मीन आंग लाइंग कई जगह पर गए थे, जिसमें से एक गुजरात स्थित मुंद्रा पोर्ट था। मुंद्रा पोर्ट में सामान्य यात्रा की मेजबानी भारत सरकार और अडानी पोर्ट्स के अधिकारियों ने की। कई अन्य उपस्थित लोगों के साथ अडानी समूह के अधिकारी भी भारत सरकार की मेजबानी की यात्रा में उपस्थित थे। इस दौरान अडानी पोर्ट्स और म्यांमार के जनरल के बीच कोई लेनदेन नहीं हुई।
हमारे वैश्विक साथियों की तरह, हम म्यांमार की स्थिति को ध्यान से देख रहे हैं और आगे की स्थिति के लिए संबंधित अधिकारियों और हितधारकों के साथ चर्चा करेंगे। एक जिम्मेदार कॉर्पोरेट के रूप में हमारा इरादा व्यापार और कॉमर्स के माध्यम से म्यांमार में निवेश के अनुकूल अवसरों का निर्माण करना है। हम लोगों के मौलिक अधिकारों से संबंधित उल्लंघनों की निंदा करते हैं।”
बता दें कि म्यांमार की सेना ने देश में तख्तापलट कर दिया है। तख्तापलट नागरिक नेता आंग सान सू ची को हटाने के लिए किया गया था, लेकिन अब सेना हिंसा कर रही है। संयुक्त राष्ट्र (UN) ने भी म्यांमार सेना पर नरसंहार व मानवता के खिलाफ अपराध करने के आरोप लगाए हैं। अब तक हिंसा में 500 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।