राजनीतिक विषयों पर अपने पहले संदेश में दुनिया के सबसे अमीर और शक्तिशाली देशों के समूह जी-20 के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत अन्य नेताओं ने पेरिस में हुए बर्बर आतंकी हमले की पृष्ठभूमि में वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त कार्रवाई करने और आतंक के वित्तीय स्रोतों को समाप्त करने का संकल्प व्यक्त किया। अंताल्या शिखर सम्मेलन में पहली बार जी-20 देशों के नेताओं ने आर्थिक व कारोबारी विषयों से इतर एक बयान जारी किया और पेरिस हमलों की भर्त्सना करते हुए आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता का संकल्प व्यक्त किया। तुर्की के राष्ट्रपति रिसेफ तायिक एर्दोगन की ओर से दिए गए रात्रिभोज के दौरान ‘वैश्विक चुनौतियां : आतंकवाद और पलायन’ विषय पर बयान का आधार तय हुआ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रात्रिभोज के दौरान कहा था कि कई देश आतंक को ‘राज्य की नीति के उपकरण’ के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं और उन्हें अलग थलग किए जाने की जरूरत है, साथ ही आतंक के वित्त पोषण को आपराधिक कार्य करार दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘हमारे पास आतंकवाद से निपटने के लिए समग्र वैश्विक रणनीति नहीं है। और हमारे पास जो साधन हैं, उनका हम उपयोग हम चुनिंदा तौर पर करते हैं।’
उन्होंने कहा था कि महत्वपूर्ण यह है कि हम जिस खतरे का सामना कर रहे हैं, उसपर किस तरह प्रतिक्रिया देते हैं। दो दिवसीय जी20 शिखर सम्मेलन के समापन पर जारी संयुक्त बयान में इस बात को रेखांकित किया गया है कि नेताओं ने इसकी फिर से पुष्टि की कि आतंकवाद को किसी धर्म, राष्ट्रीयता या जातीय समूहों से नहीं जोड़ा जा सकता।
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सहित जी20 के सभी नेताओं ने पेरिस पर हुए बर्बर हमले की निंदा की और इस बात को दोहराया कि आतंकवाद से लड़ने के लिए वे एक रहेंगे। विदेशी आतंकी लड़ाकों के बढ़ते प्रवाह पर चिंता प्रकट करते हुए जी20 देशों के नेताओं ने मांग की कि इसे रोकने के लिए सीमा नियंत्रण और हवाई सुरक्षा को कड़ा किया जाए। इन नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवादियों के वित्त पोषण के स्रोतों को खत्म करने के लिए और उनकी संपत्तियों को जब्त करने के लिए वे सूचनाओं के आदान प्रदान संबंधी आपसी सहयोग को बनाए रखेंगे।
जी20 नेताओं की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि आतंकियों के वित्त पोषण के माध्यमों से निपटने के लिए वे प्रतिबद्ध हैं, खास तौर पर आतंकवादियों की सम्पत्तियों को जब्त करने और आतंकवादियों के वित्तपोषण को आपराधिक कार्य घोषित करने के लिए वे सूचनाओं के आदान प्रदान करने में आपसी सहयोग जारी रखेंगे।
इन नेताओं ने आतंकवाद और आतंकवाद के वित्त पोषण के खिलाफ सख्त लक्षित वित्तीय प्रतिबंध व्यवस्था बनाने की अपील की। इसमें सभी क्षेत्रों में वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) को सुगम तरीके से लागू करना शामिल है। बयान में कहा गया, ‘ हम एफएटीएफ की प्रासंगिक सिफारिशों को लागू करना जारी रखेंगे। हम एफएटीएफ को सुझाव देते हैं कि वह आतंकवाद से लड़ने के लिए उसके लक्षित वित्तीय पोषण के स्रोतों को चिन्हित करके वित्तीय प्रतिबंध लगाने के लिए एक कानूनी ढांचा तैयार करे।’
अंताल्या घोषणा में वैश्विक पलायन की समस्या का भी उल्लेख किया गया और सभी देशों से इस समस्या का समाधान करने की अपील की गई। जी20 देशों के नेताओं ने फैसला किया कि वे मिलकर संयुक्त राष्ट्र घोषणापत्र और मानवाधिकार कानूनों, अंतरराष्ट्रीय शरणार्थी कानून और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून जैसे अंतरराष्ट्रीय कानूनों के मुताबिक आतंकवाद को रोकने और उसे समाप्त करने की दिशा में मिलकर काम करे। इस पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्तावों और संयुक्त राष्ट्र वैश्विक आतंकवाद निरोधक रणनीति व अन्य प्रासंगिक अंतरराष्ट्रीय संधियों के दायरे में सहयोग करने की बात भी कही गई है।
बयान के मुताबिक, ‘हम सख्त से सख्त शब्दों में पेरिस में 13 नवंबर और अंकारा में 10 अक्तूबर को हुए बर्बर आतंकी हमलों की निंदा करते हैं। यह पूरी मानवता के लिए अस्वीकार्य है।’ इसमें कहा गया, ‘हम आतंकी हमलों के शिकार लोगों और उनके परिवारों के प्रति गहरी संवेदना प्रकट करते हैं। हम आतंकवाद के सभी स्वरूपों और जहां भी यह घटता है, उसके विरुद्ध एकजुटता और उससे लड़ने के संकल्प को दोहराते हैं।’ समूह के नेताओं ने कहा कि वे आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एकजुट हैं।