पिछले एक सालों के दौरान मसालों, चावल के अलावा रोजाना की खाने-पीने की चीजों से लेकर साबुन तक की कीमतों में इजाफा हुआ है। इस वजह से घरेलू मासिक बजट प्रभावित हो रहा है। उपभोक्ता केंद्रित कंपनियों के पास अपने उत्पादों की कीमतों को बढ़ाने के कुछ विकल्पों के साथ छोड़ दिया गया है। आवश्यक खाद्य पदार्थों की कीमतों में भी पिछले एक साल में के बीच एकल अंकों में बढ़ोतरी देखी गई। ब्रांडेड दूध 5.4 फीसदी और ब्रेड 12.3 फीसदी महंगा हुआ है। इस साल की शुरुआत में अमूल और आईटीसी जैसी कंपनियों ने दूध की कीमतों में 2 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की थी।

आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज नोट के मुताबिक, इस साल जुलाई में पूरे भारत में थोक दूध की कीमतों में सालाना 6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। ब्रोकरेज ने यह भी कहा कि मक्का, गेहूं और सोयाबीन की कीमतें भी बढ़ रही हैं जिसकी वजह से मवेशियों के चारे की कीमतें बढ़ रही हैं। इसलिए इस बात की उम्मीद की जा रही है कि डेरी का किसान दूध की कीमतों को बढ़ाकर ये बढ़ती कीमतों को लेवल में लाने की उम्मीद करेगा।

कंपनियों ने निकाले नए विकल्प
उपभोक्ता केंद्रित कंपनियां इस समस्या के समाधान के लिए कई विकल्प लेकर आई हैं इनमें से पैकिंग के साइज में कमी, छोटे पैकेटों की शुरुआत और बड़े पैकेटों के दामों में इजाफा करना शामिल है। ज्यादातर मसालों की कीमतों में साल-दर-साल दो अंकों की बढ़ोतरी हुई है, ब्रांडेड धनिया की कीमत एक साल पहले की तुलना में इस साल जून में 16.9 फीसदी ज्यादा रही। रिटेल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म बिजोम के उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के मुताबिक, गरम मसाला भी 15.6 फीसदी महंगा है इसमें आवश्यक खाद्य पदार्थ भी शामिल हैं। इसके पहले ये बढ़ोतरी एकल अंकों में देखी जाती थी।

नहाने और कपड़े धोने के साबुन के बढ़े दाम
वहीं अगर हम खाने-पीने की चीजों से अलग हटकर अन्य चीजों जैसे नहाने के साबुन की बात करें तो वो भी 15 फीसदी महंगे हो गए हैं। हिंदुस्तान यूनिलीवर और गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स जैसी एफएमसीजी कंपनियों ने साबुन के दाम बढ़ाए हैं। वहीं अगर हम कपडे़ धोने के साबुन की बात करें तो ब्रांडेड डिटर्जेंट की कीमतें भी पिछले एक साल में 9.7 फीसदी बढ़ी हैं। बिज़ोम के आंकड़ों के मुताबिक फर्श की सफाई करने वाले साबुन की कीमतों में 12.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।

थाली के भोजन में घी, बासमती चावल और मक्खन के बढ़े दाम
थाली के भोजन जिसमें घी, बासमती चावल और मक्खन की कीमतें कीमतें भी बढ़ रही हैं। बासमती के ब्रांडेड चावल की कीमतों पर सबसे तेज उछाल देखा गया। ये बढ़ोतरी एक साल पहले की तुलना में 32 प्रतिशत ज्यादा है। वहीं मक्खन 7.7 फीसदी महंगा हुआ है, जबकि घी 5.3 फीसदी महंगा है। बिजोम के अक्षय डिसूजा बताते हैं, “बासमती चावल भी भारत से एक प्रमुख निर्यात है। इसका मतलब है कि इस क्षेत्र में कंपनियों के लिए बेहतर प्राप्ति हुई है।” व्यक्तिगत देखभाल उत्पादों की कीमतों में भी पिछले एक साल में वृद्धि देखी गई है। बिजोम के आंकड़ों के मुताबिक इस साल जून में शैंपू की कीमत पिछले साल की तुलना में 8.3 फीसदी अधिक रही, जबकि बालों का रंग 7.1 फीसदी महंगा हुआ।