वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को कहा कि देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर आ रही है। नई दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान वित्त मंत्री ने देश के आर्थिक हालात पर चर्चा की। सीतारमण ने सुस्त पड़ चुकी अर्थव्यवस्था में जान डालने के लिए कई एलान किए। इस दौरान उन्होंने कहा हमारा फोकस होम बॉयर्स और टैक्स रिफॉर्म पर है।
सीतारमण ने टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत देते हुए एलान किया कि ‘छोटे डिफॉल्ट में अब आपराधिक मुकदमा नहीं चलेगा। ऐसे टैक्स डिफॉल्टर्स पर कार्रवाई के लिए सीनियर अधिकारियों की मंजूरी जरूरी होगी जिनका टैक्स डिफॉल्ट 25 लाख रुपए होगा। मिडिल और अफोर्डेबल इनकम हाउसिंग के लिए 10 हजार करोड़ के फंड की व्यवस्था की गई है।’
उन्होंने आगे कहा ‘अप्रैल-जून में इंडस्ट्री के रिवाइवल के संकेत मिले हैं। निर्यात बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। निर्यात के लिए विदेशी बाजारों में भेजे जाने वाले वाणिज्यिक उत्पादों पर कर और शुल्क का बोझ खत्म करने की एक नई योजना आरओडीटीईपी शुरू की जा रही है। हम 19 सितंबर को बैंक अधिकारियों के साथ भी बैठक करेंगे। इस बैठक में बैंक प्रमुखों संग बातचीत की जाएगी। अर्थव्यवस्था के लिए बेहतर कदम उठाए जा रहे हैं।’
वित्त मंत्री ने कहा ‘2018-19 के मुकाबले 2019-20 में अर्थव्यवस्था मजबूत है। महंगाई दर चार फीसदी से नीचे है और महंगाई नियंत्रण में है।इस महीने के अंत तक ऑटोमेटेड जीएसटी इनपुट टैक्स क्रेडिट रिफंड सिस्टम पूरी तरह से तैयार होगा। हाल ही में घोषित की गई आंशिक क्रेडिट गारंटी योजना के शुरू होने से नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों (NBFCs) को फायदा पहुंचा रहा है।’
उन्होंने बताया ‘बाजार प्रोत्साहन के उपायों की तीसरी किस्त की घोषणा की गई है। इसमें रीयल एस्टेट तथा निर्यात क्षेत्रों को कुल मिला कर 70 हजार करोड़ रुपये से अधिक की वित्तीय मदद देने की योजनाएं शामिल हैं। इनमें अधूरी आवास परियोजनाओं को पूरा करने के लिये वित्तपोषण मुहैया कराने हेतु एक कोष की स्थापना जैसी योजनाओं के लिये 30 हजार करोड़ रुपये के खर्च भी योजनाएं भी शामिल हैं।’
वित्त मंत्री ने कहा ‘निर्माण के आखिरी चरण में पहुंच चुकी साफ-सुथरी अवासीय परियोजनाओं को पूरा कराने में वित्तीय मदद के लिए 20 हजार करोड़ रुपये का कोष बनाया जाएगा। इसमें करीब 10 हजार करोड़ रुपये सरकार मुहैया कराएगी तथा इतनी ही राशि अन्य स्रोतों से जुटायी जाएगी। इस योजना का लाभ उन्हीं परियोजनाओं को मिलेगा जो एनपीए घोषित नहीं हैं और न ही उनको ऋण समाधान के लिए एनसीएलटी के सुपुर्द किया गया है।’
बता दें कि सरकार ने यह कदम ऐसे समय उठाया है जब आर्थिक वृद्धि दर की रफ्तार कम होकर छह साल के निचले स्तर पर आ गयी है। वित्त मंत्री की यह चार दिन के भीतर दूसरी प्रेस कॉन्फ्रेंस थी। मंगलवार (10 सितंबर 2019) को चेन्नई में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने ऑटोमोबाइल सेक्टर में आई सुस्ती के लिए ओला-ऊबर जैसी कैब सर्विस को जिम्मेदार बताया था। उनके इस तर्क के बाद सोशल मीडिया पर उनकी जमकर फजीहत हुई थी।
(भाषा इनपुट्स के साथ)