National Population Register, Citizenship Amendment Act: नागरिकता संशोधन कानून के चलते सिटिजनशिप छिनने की डर से तमिलनाडु के नागपट्टिनम जिले में करीब 100 मुस्लिम किसानों ने बैंक से अपनी जमा पूंजी निकाल ली है। किसानों का कहना था कि उन्हें डर है कि सरकार कुछ दिनों में एनपीआर लॉन्च करने वाली है और इसके चलते उनकी जमा पूंजी डूब सकती है। ‘न्यूज 18’ की खबर के मुताबिक थेरिझंडूर गांव के लोगों का एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें इंडियन ओवरसीज बैंक के अधिकारी किसानों से यह कहते दिख रहे हैं कि वे अपनी रकम न निकालें।

खबर के मुताबिक बैंक के मैनेजर ने शुक्रवार को गांव के एक स्कूल में लोगों को यह समझाया कि नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर में दस्तावेज देने की जरूरत नहीं है और उनकी कमाई हुई रकम को कुछ नहीं होगा। मैनेजर की ओर से तमाम कोशिशें किए जाने के बाद भी किसानों ने उनकी बात को मानने से इनकार कर दिया। किसानों ने कहा कि राज्यसभा और लोकसभा से नागरिकता संशोधन विधेयक पारित होने के बाद से ही वे डरे हुए हैं।

एक किसान हजा ने कहा, ‘हमने सुना है कि बैंक अपनी केवाईसी के लिए एनपीआर को भी जरूरी बनाने जा रहे हैं। इसलिए हम भविष्य में अपनी पूंजी नहीं खोना चाहते। हमें यह पक्की जानकारी नहीं है कि आखिर नागरिकता को साबित करने के लिए हमें किन दस्तावेजों की जरूरत होगी। इसलिए हमने अपनी पूंजी को ही वापस ले लिया है, जो हमने सालों में कमाई है।’

बैंक के एक विज्ञापन से फैला भ्रम: दरअसल इस संबंध में पैनिक की एक वजह सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की ओर से तमिल अखबारों में जनवरी में दिया गया एक विज्ञापन भी है। इस विज्ञापन में बैंक ने खाताधारकों से जल्द अपनी केवाईसी पूरी कराने के लिए कहा था। यही नहीं बैंक की ओर से केवाईसी के लिए जिन दस्तावेजों की जरूरत बताई गई थी, उनमें एनपीआर का भी जिक्र था।

तैर रहीं अफवाहें, दस्तावेज न हुए पूरे तो डूब जाएगी रकम: इसके बाद लोगों में तमाम तरह की अफवाहें तैरने लगीं। कहा जा रहा है कि कुछ लोगों ने इसे सीएए से जोड़कर देखना शुरू कर दिया, जिसमें से अधिकांश मुस्लिम हैं। इन लोगों की आशंका है कि यदि उनके पास दस्तावेज न पूरे हुए तो फिर बैंक में जमा पूंजी डूब सकती है। ऐसे में मुस्लिम तबके के करीब 100 किसानों ने खाते से अपनी पूरी रकम ही निकालना सही समझा।