देश में 2014 के दौरान करीब 25 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आया और बदले वातावारण में नए साल में नयी सरकार देश में आने वाली पूंजी में कई बड़े इजाफे की उम्मीद कर रही है। सरकार को उम्मीद है कि रक्षा, रेलवे व बीमा क्षेत्रों में एफडीआई को उदार बनाने से 2015 में देश में विदेशी निवेश में अच्छा खासा इजाफा होगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पेश ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम एक और ऐसा महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है जिसके जरिये सरकार को नए साल में देश में अरबों डालर का विदेशी निवेश आने की उम्मीद है। सुधारों की प्रक्रिया के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दर्शाते हुए सरकार ने बीमा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा 26 से बढ़ाकर 49 फीसद करने के लिए अध्यादेश का रास्ता चुना है। इसके अलावा चिकित्सा उपकरण क्षेत्र में एफडीआई नियमों को उदार किया गया है।

हालांकि, एफडीआई की धार बहुत हद तक देश में कारोबार की सुगमता पर निर्भर करेगी। फिलहाल इस मामले में भारत की छवि ठीक नहीं है और विश्वबैंक की ताजा सूची में भारत इस मामले में 142वें स्थान पर है। यह सूची वर्ष 2013 की
परिस्थितियों पर आधारित है। प्रधानमंत्री ने इस सूची में भारत को पहले 50 देशों में लाने का लक्ष्य रखा है।

विशेषज्ञों व सरकारी अधिकारियों को उम्मीद है कि सरकार की विभिन्न पहलों के नतीजे 2015 में दिखाई देंगे। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘देश में व्यवसाय सुगम बनाने के सरकार के उपायों प्रयासों तथा रक्षा, रेलवे व निर्माण क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निदेश के नियमों को उदार किए जाने से 2015 में देश में एफडीआई और बढ़ेगा।’’

विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि भारत के प्रति वैश्विक धारणा सुधरी है। कॉरपोरेट लॉ कंपनी अमरचंद एंड मंगलदास कर प्रमुख व एफडीआई विशेषज्ञ कृष्ण मल्होत्रा ने कहा, ‘‘भारत के प्रति वैश्विक धारणा सकारात्मक है। विदेशी कंपनियां भारत की ओर देख रही हैं। 2014 में घोषित उपायों से 2015 में देश में एफडीआई बढ़ेगा।’’

हालांकि, अभी तक किसी विदेशी कंपनी द्वारा किसी बड़े निवेश की घोषणा नहीं हुई है। इस साल अक्तूबर तक देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का प्रवाह करीब 23 अरब डॉलर रहा है, जो पिछले साल समान अवधि में 22 अरब डॉलर रहा था। समूचे 2013 में देश में 26 अरब डॉलर का एफडीआई आया था।

भारत को 12वीं योजनावधि 2012-13 से 2016-17 तक बुनियादी ढांचा क्षेत्र के विकास के लिए 1,000 अरब डॉलर के निवेश की जरूरत है।

जहां तक बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र में विवादास्पद एफडीआई नीति का सवाल है, तो नई सरकार ने वैश्विक सुपर मार्केट श्रृंखलाओं के यहां स्टोर खोलने की नीति को अभी तक पलटा नहीं है। लेकिन उसने स्पष्ट किया है कि वह इस बारे में कोई आवेदन स्वीकार नहीं करेगी।