एलपीजी सिलेंडरों पर उपभोक्ताओं को सरकार की ओर से सब्सिडी दिए जाने की जरूरत जल्दी ही खत्म हो सकती है। दरअसल वैश्विक स्तर पर कीमतों में गिरावट और भारत में रेट बढ़ने के चलते ग्लोबल मार्केट और स्थानीय स्तर पर मूल्यों का अंतर खत्म सा हो गया है। ऐसे में एलपीजी सब्सिडी की जरूरत भी खत्म हो सकती है। बता दें कि अंतरराष्ट्रीय कीमतों और स्थानीय स्तर पर अंतर की भरपाई सरकार की ओर से सब्सिडी देकर की जाती रही है। 1 सितंबर को देश में सब्सिडी और गैर-सब्सिडी वाले सिलेंडर का रेट 594 रुपये ही हो गया। दोनों सिलेंडरों के रेट में कोई अंतर न होने से साफ है कि अब सरकार को किसी भी तरह की सब्सिडी देने की जरूरत नहीं है।
मौजूदा वित्त वर्ष की शुरुआत से ही सब्सिडी और गैर-सब्सिडी वाले सिलेंडरों के रेट में लगातार अंतर कम हो रहा है। इसके चलते बीते करीब 4 महीनों में सब्सिडी के तौर पर केंद्र सरकार को बेहद कम रकम ही खर्च करनी पड़ी है। यदि यही स्थिति रही तो फाइनेंशियल ईयर 2021 में केंद्र सरकार एलपीजी सब्सिडी के 20,000 करोड़ रुपये बचा सकती है। कोरोना काल में सरकार पर बढ़ रहे खर्च के दबाव को देखते हुए यह बड़ी मदद हो सकती है। इस साल सरकार ने पेट्रोलियम सब्सिडी के लिए 40,915 करोड़ रुपये का आवंटन किया है। इसमें से एलपीजी सब्सिडी के लिए 37,256.21 करोड़ रुपये जारी हुए हैं, लेकिन पहली तिमाही में सरकार ने सिर्फ 1,900 करोड़ रुपये ही सब्सिडी के तौर पर खर्च किए हैं।
दरअसल एक तरफ वैश्विक बाजार में पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में गिरावट का दौर जारी है तो दूसरी तरफ भारत में तेल कंपनियों ने सब्सिडी वाले सिलेंडर के दाम भी बढ़ा दिए हैं। बीते साल जुलाई में सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडर का दाम 494.35 रुपये था, जो अब बढ़कर 594 रुपये हो गया है। यदि कंपनियों की ओर से यह इजाफा न किया जाता तो एलपीजी सिलेंडर के दाम मौजूदा रेट के मुकाबले करीब 100 रुपये कम होते।
सिर्फ उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों पर फोकस: भारत में एलपीजी के कुल 27.76 करोड़ ग्राहक हैं, जिनमें से 1.5 करोड़ ग्राहक सब्सिडी के हकदार नहीं हैं क्योंकि उनकी सालाना टैक्सेबल इनकम 10 लाख रुपये से अधिक की है। इसके बाद 26.12 करोड़ ग्राहक बचते हैं, जिनमें से 18 करोड़ लोगों को फिलहाल कोई सब्सिडी नहीं मिल रही है। इसके अलावा अन्य जिन 8 करोड़ लोगों को सब्सिडी दी जा रही है, वे उज्ज्वला स्कीम के तहत एलपीजी यूजर हैं। दरअसल सरकार अब सिर्फ गरीबों को ही एलपीजी सब्सिडी देने की योजना पर काम कर रही है। कोरोना काल में सरकार की ओर से 8 करोड़ उज्ज्वला लाभार्थियों के खाते में 9,709 करोड़ रुपये की रकम ट्रांसफर की गई है।