EPFO invests Employees’ Provident Fund: नौकरीपेशा लोगों की सैलरी में से हर महीने ईपीएफओ यानि कि एंप्लॉयी प्रोविडेंट फंड ऑर्गेनाइजेशन (ईपीएफओ) में जमा किया जाता है। लेकिन हम सभी के मन में यह सवाल होगा कि हमारी सैलरी से कटने वाले इस रकम का सरकार कहां-कहां पर इस्तेमाल करती है। मोदी सरकार ने खुद इसकी जानकारी साझा की है। केंद्रीय मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने लोकसभा में जानकारी दी है कि ईपीएफओ पीएफ का पैसा एक्सचेंड ट्रेडेड फंड्स (ईटीएफ), सेंट्रल पब्लिक सेक्टर इंटरप्राइसेज और भारत 22 में निवेश करती है।

एक सवाल के जवाब में गंगवार ने यह जानकारी लिखित में संसद को दी। गंगवार के मुताबिक, ईपीएफओ ने 2019 में ईटीएफ में कुल 86,966 करोड़ रुपए निवेश किए। बता दें कि 2015 में सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज (सीबीटी), एंप्लॉयी प्रोविडेंट फंड (ईपीएफ) ने फैसला लिया था कि ईटीएफ की इक्विटी और संबंधित निवेशों की श्रेणी में ही निवेश किया जाएगा।

गंगवार ने लोकसभा में जानकारी दी कि ‘सोशल सिक्योरिटी के लाभ को सभी योग्य कर्मचारियों तक पहुंचाने के लिए ईपीएफओ एम्पलॉयी प्रोविडेंट फंड्स एंड मिलेनियस प्रोवीजन्स ((EPF & MP) एक्ट 1952 के तहत लगातार सक्रिय है। सरकार के जवाब से साफ है कि हमारी गाढ़ी कमाई के पैसे को शेयर्स पर नहीं लगाया जाता।

वहीं एक अन्य सवाल के जवाब में गंगवार ने कहा ‘श्रम और रोजगार मंत्रालय ने उम्रदराज नागरिकों के लिए प्रधानमंत्री श्रम योगी मान-धन योजना को लॉन्च किया था। यह एक स्वैच्छिक और कंट्रीब्यूटरी पेंशन स्कीम है। इसमें 60 साल की उम्र पर पहुंचने पर प्रतिमाह 3,000 रुपए की पेंशन निर्धारित की गई है।

मंत्री ने बताया कि वे कर्मचारी जिनकी मासिक आय 15,000 रुपए से कम है और जो ईपीएफओ/ईएसआईसी/एनपीएस स्कीम से नहीं जुड़े हु हैं वह इसका फायदा उठा सकते हैं। इस स्कीम के तहत 18-40 साल की आयु वाला कोभी भी शख्स 50 फीसदी का मंथली कंट्रीब्यूशन देता है जबकि अन्य 50 प्रतिशत केंद्र सरकार अपनी जेब से देती है।

(राजीव कुमार)