कर्मचारियों के लिए अहम सामाजिक सुरक्षा स्कीम माने जाने वाली एंप्लॉयीज प्रोविडेंट फंड का दायरा बढ़ाते हुए अब इसे व्यक्तिगत स्तर पर भी लागू किया जा सकता है। दरअसल सरकार इस स्कीम को सेल्फ एंप्लॉयड यानी स्वरोजगार प्राप्त लोगों और उनके साथ जुड़कर काम करने वाले लोगों के लिए भी खोलना चाहती है। एक शीर्ष अधिकारी ने इकनॉमिक टाइम्स को बताया कि इस फैसले से ऐसे 90 पर्सेंट वर्कर्स को मदद मिल सकेगी, जो फिलहाल इस स्कीम के दायरे से बाहर हैं। फिलहाल ऐसी संस्थाओं के कर्मचारी ही ईपीएफ स्कीम के दायरे में आते हैं, जिनमें कम से कम 10 या उससे ज्यादा एंप्लॉयी हों। इस कदम से वकील, डॉक्टर, सीए और अन्य सेल्फ एंप्लॉयड लोग भी ईपीएफ स्कीम से जुड़ सकेंगे। फिलहाल देश भर में करीब 6 करोड़ लोग ईपीएफ के दायरे में आते हैं।
ईपीएफओ को संस्थान केंद्रित करने की बजाय व्यक्ति केंद्रित बनाने पर विचार चल रहा है और इस संबंध में प्रस्ताव सरकार के समक्ष भेजा गया है। अधिकारी ने कहा कि सोशल सिक्योरिटी कोड बिल को संसद से मंजूरी मिलने के बाद इस प्रस्ताव पर विचार किया जाएगा। इस बिल को बीते साल के अंत में लोकसभा में पेश किया गया था। बता दें कि सरकार 8 केंद्रीय श्रम कानूनों का विलय कर सोशल सिक्योरिटी कोड लाने पर विचार कर रही है। लेकिन व्यक्तिगत तौर पर ईपीएफओ से जुड़ने की सुविधा देना एक अहम कदम साबित होगा और इससे सामाजिक सुरक्षा स्कीम का दायरा बढ़ेगा। सरकारी अधिकारी ने कहा कि सेल्फ एंप्लॉयड लोगों के लिए अब भी सोशल सिक्योरिटी एक बड़ा मसला है और ईपीएफओ के दायरे में उन्हें लाने से इस समस्या का हल हो सकेगा।
कैसे चलती है ईपीएफ स्कीम: कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) एक सामाजिक सुरक्षा योजना है, जिसका संचालन संचालन कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) करता है। सरकारी और प्राइवेट दोनों तरह की नौकरी करने वाले कर्मचारियों की सैलरी से कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) का पैसा कटता है। ईपीएफ में दो प्रकार से पैसा जमा किया जाता है। पहला भाग EPF में जमा होता है और दूसरा भाग EPS यानी कर्मचारी पेंशन योजना में जमा होता है।
क्या है नियम: कर्मचारी के मूल वेतन का 12 प्रतिशत भाग पीएफ खाते में जमा होता है। इतनी ही राशि का योगदान उसकी कंपनी भी देती है। कर्मचारी के बेसिक वेतन का 12 फीसदी भाग EPF में जाता है, लेकिन कंपनी के योगदान का 8.33 भाग कर्मचारी पेंशन योजना यानी EPS में जमा होता है और 3.67 प्रतिशत हिस्सा EPF में जमा किया जाता है। EPS योजना के तहत 58 वर्ष की आयु में रिटायर होने के बाद संगठित क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों को पेंशन मिलती है। हालांकि, इस योजना का लाभ सिर्फ तभी लिया जा सकता है जब कर्मचारी ने कम से कम 10 वर्षों के लिए सर्विस दी हो। इसमें लगातार सर्विस दिया जाना जरूरी नहीं।