केंद्र सरकार की ओर से मई से लेकर जुलाई महीने तक के लिए पीएफ में जमा होने वाली रकम की लिमिट को घटा दिया गया है। तीन महीनों तक कर्मचारी और नियोक्ता को बेसिक सैलरी के 10 फीसदी के हिस्से के बराबर ही जमा करना होगा। यदि कोई कर्मचारी 10 फीसदी से ज्यादा हिस्सा खाते में जमा करना चाहता है तो उसे इसकी अनुमति होगी। मंगलवार को श्रम मंत्रालय की ओर से पीएफ में योगदान को कम किए जाने के नोटिफिकेशन को जारी कर दिया गया। इस नोटिफिकेशन में ही यह कहा गया है कि कोई कर्मचारी यदि चाहे तो पीएफ खाते में इन तीन महीनों के दौरान 10 फीसदी से ज्यादा का भी योगदान कर सकता है।

हालांकि नियोक्ता को ऐसा करने की कोई जरूरत नहीं होगी। श्रम मंत्रालय की ओर से जारी किए गए नोटिफिकेशन में कहा गया, ‘एंप्लॉयीज प्रोविडेंट फंड स्कीम, 1952 के तहत किसी भी सदस्य के पास यह विकल्प होगा कि वह 10 फीसदी के तय रेट से ज्यादा हिस्सा जमा कर सकता है। हालांकि नियोक्ता को 10 फीसदी हिस्सा जमा करने की ही जरूरत होगी।’ नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से जारी किए गए 21 लाख करोड़ रुपये के पैकेज के तहत कंपनियों और कर्मचारियों को यह राहत दी गई है। सरकार के मुताबिक इससे मार्केट में कैश की उपलब्धता अधिक होगी और नियोक्ता पर बोझ अधिक नहीं पड़ेगा। इसके अलावा कर्मचारियों की टेक होम सैलरी में भी इजाफा होगा।

इसके अलावा ऐसी कंपनियां जहां 90 फीसदी कर्मचारियों को 15,000 रुपये से कम सैलरी मिलती है या फिर जहां कर्मचारियों की संख्या 100 से कम है। सरकार की ओर से पहले मार्च से लेकर मई तक कर्मचारियों के पीएफ में रकम जमा करने का फैसला लिया गया था। लेकिन अब इसे बढ़ाकर अगस्त तक कर दिया गया है। सरकार की ओर से कर्मचारियों और कंपनियों दोनों का ही 12-12 फीसदी हिस्सा जमा करेगी।

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