देश की अर्थव्यवस्था में मंदी का दौर गहराता ही जा रहा है। अब औद्योगिक उत्पादन के लिहाज से निराशाजनक आंकड़े सामने आए हैं। बता दें कि देश में औद्योगिक उत्पादन बीते सात सालों में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। विनिर्माण, बिजली और खनन क्षेत्रों के खराब प्रदर्शन की वजह से अगस्त महीने में औद्योगिक उत्पादन 1.1 प्रतिशत घट गया। पूंजीगत सामान और टिकाऊ उपभोक्ता सामान के उत्पादन में भारी गिरावट की वजह औद्योगिक उत्पादन घटा है।
दो साल में यह पहला मौका है जबकि औद्योगिक उत्पादन नकारात्मक दायरे में आया है। अगस्त, 2018 में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) 4.8 प्रतिशत बढ़ा था। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा आंकड़ों के अनुसार, अगस्त में विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन 1.2 प्रतिशत घट गया। अगस्त, 2018 में विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन 5.2 प्रतिशत बढ़ा था। आईआईपी में विनिर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी 77 प्रतिशत है। इससे पहले अक्टूबर, 2014 में विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन 1.8 प्रतिशत घटा था।
समीक्षाधीन महीने में बिजली क्षेत्र का उत्पादन 0.9 प्रतिशत नीचे आया। अगस्त, 2018 में बिजली क्षेत्र का उत्पादन 7.6 प्रतिशत बढ़ा था। वहीं खनन क्षेत्र के उत्पादन की वृद्धि 0.1 प्रतिशत पर स्थिर रही। इसी माह रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 6.1 प्रतिशत कर दिया है। इससे पहले केंद्रीय बैंक ने वृद्धि दर 6.9 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था।
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर घटकर छह साल के निचले स्तर पांच प्रतिशत पर आ गई है। एनएसओ के आंकड़ों के अनुसार अगस्त में सबसे खराब प्रदर्शन पूंजीगत सामान क्षेत्र का रहा। समीक्षाधीन महीने में पूंजीगत सामान का उत्पादन 21 प्रतिशत से अधिक घट गया। पिछले साल समान महीने में पूंजीगत सामान का उत्पादन 10.3 प्रतिशत बढ़ा था।
टिकाऊ उपभोक्ता सामान क्षेत्र का उत्पादन भी 9.1 प्रतिशत घट गया। अगस्त, 2018 में यह 5.5 प्रतिशत बढ़ा था। बुनियादी ढांचा-निर्माण क्षेत्र का प्रदर्शन भी काफी खराब रहा। इस क्षेत्र में 4.5 प्रतिशत की गिरावट आई। अगस्त, 2018 में इस क्षेत्र ने आठ प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की थी।