वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक सर्वे पेश किया। आर्थिक सर्वेक्षण 2024 में देश में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों की बढ़ती घटनाओं का जिक्र किया गया। सर्वे के अनुसार समाज में मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह स्वास्थ्य और आर्थिक रूप से जरूरी है। सबसे पहले सर्वेक्षण में इस विषय पर मुद्दे के विभिन्न सामाजिक-आर्थिक प्रभावों का जिक्र किया गया। इसमें कहा गया है कि व्यक्तियों के शारीरिक स्वास्थ्य के मुद्दों की तुलना में मानसिक स्वास्थ्य अधिक प्रभाव डालता है।

राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NMHS) 2015-16 के आंकड़ों का हवाला देते हुए सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारत में 10.6 प्रतिशत भारतीय मानसिक विकारों (Mental Disorders) से पीड़ित हैं।

एनसीईआरटी के स्कूली छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण सर्वेक्षण का हवाला देते हुए आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि एडल्ट्स में मानसिक स्वास्थ्य की घटनाएं बढ़ रही है, जोकि कोविड ​​​​-19 महामारी के कारण और भी बढ़ गई है। 11 प्रतिशत छात्रों ने चिंता महसूस की है। जबकि 14 प्रतिशत ने अत्यधिक भावना महसूस की और 43 प्रतिशत ने मूड में बदलाव का अनुभव किया। 50 फीसदी छात्रों ने पढ़ाई को चिंता का कारण बताया और 31 फीसदी ने परीक्षा और नतीजों को कारण बताया।

सर्वेक्षण में इस बात का भी जिक्र है कि मनोचिकित्सकों की संख्या को दोगुना करने के प्रयास किए जा रहे हैं। वर्तमान में भारत में प्रति लाख जनसंख्या पर 0.75 मनोचिकित्सक हैं जिसे बढ़ाकर 3 किया जाएगा। ये मानसिक स्वास्थ्य को संबोधित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

बच्चों और एडल्ट्स में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में वृद्धि अक्सर इंटरनेट और विशेष रूप से सोशल मीडिया के अत्यधिक उपयोग से जुड़ी होती है। बच्चों द्वारा इंटरनेट का अनियंत्रित उपयोग कई प्रकार की समस्याओं का कारण बन सकता है। साइबरबुलिंग जैसी गंभीर समस्याएं भी इसमें शामिल हैं।

सर्वेक्षण में सरकार द्वारा की गई प्रमुख पहलों और नीतियों का जिक्र किया गया-

राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम: इस योजना के जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत 1.73 लाख से अधिक उप स्वास्थ्य केन्द्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों, शहरी पीएचसी और शहरी स्वास्थ्य एवं कल्याण केन्द्रों को मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने वाले आयुष्मान आरोग्य में अपग्रेड किया गया।

राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम: 20 से अधिक भाषाओं में 1600 से अधिक प्रशिक्षित परामर्शदाताओं के साथ, 34 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 53 टेली प्रकोष्ठ स्थापित किए गए। अक्टूबर 2022 से 31 मार्च 2024 तक 8.07 लाख से अधिक कॉलों का निपटान किया गया।

मानसिक स्वास्थ्य कर्मियों की संख्या में वृद्धि: पीजी छात्रों की संख्या बढ़ाने के लिए 25 उत्कृष्टता केंद्रों को मंजूरी दी गई। 47 पीजी विभागों को मजबूत करने के लिए 19 सरकारी मेडिकल कॉलेजों/संस्थानों को सहायता प्रदान की गई। 22 एम्स के लिए मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं का प्रावधान किया गया और सामान्य स्वास्थ्य देखभाल चिकित्सा और पैरामेडिकल प्रोफेशनल्स को ऑनलाइन प्रशिक्षण पाठ्यक्रम प्रदान करने वाली तीन डिजिटल अकादमी स्थापित की गईं।