रेटिंग एजेंसी मूडीज ने केंद्र सरकार की ओर से जारी किए गए 21 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज को कोरोना के संकट से निपटने के लिए नाकाफी करार दिया है। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि इससे एसेट रिस्क कम होगा, लेकिन कोरोना के निगेटिव असर से पूरी तरह बचना मुश्किल होगा। पिछले सप्ताह ही सरकार ने 21 लाख करोड़ रुपये के पैकेज में से 3.70 लाख करोड़ रुपये का पैकेज माइक्रो, स्मॉल ऐंड मीडियम इंटरप्राइजेज के लिए जारी किया था। इसके अलावा 75,000 करोड़ रुपये नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों के लिए जारी किए गए हैं और 90,000 करोड़ रुपये बिजली वितरण कंपनियों के लिए जारी किए गए हैं।

इस पर रेटिंग एजेंसी ने कहा कि इस तरह से सरकार ने एसेट रिस्क कम करने की कोशिश की है, लेकिन इससे कोरोना के संकट से पूरी तरह से नहीं निपटा जा सकेगा। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग के लिए पैकेज को लेकर रेटिंग एजेंसी ने कहा कि भारत में यह सेक्टर कोरोना के दौर से पहले से ही संकट से गुजर रहा है और अब स्लोडाउन में और इजाफा हो जाएगा। रेटिंग एजेंसी ने नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनिय़ों के लिए जारी किए गए पैकेज को लेकर कहा कि कंपनियों को तत्काल कैश की जरूरत है। ऐसे में जरूरतों को देखते हुए यह पैकेज काफी कम है।

मूडीज ने कहा कि सरकार ने जो उपाय किए हैं, उससे फिलहाल लिक्विडिटी का संकट दूर होगा, लेकिन लंबे समय में यह बहुत ज्यादा फायदेमंद नहीं है। मूडीज ने कहा कि बीते करीब 18 महीनों से एमएसएमई सेक्टर लगातार संकट के दौर से गुजर रहा है। ऐसी स्थिति में कोरोना वायरस के संकट ने MSME की मुसीबत को और बढ़ा दिया है। मूडीज ने कहा कि भारत के MSME सेक्टर की हालत ऐसी है कि वह भविष्य में किसी भी आर्थिक संकट से नहीं निपट सकतीं।

गौरतलब है कि MSME सेक्टर के संगठन ने भी पैकेज पर सवाल उठाते हुए कहा है कि 3 लाख करोड़ रुपये के पैकेज से 50 लाख यूनिट्स को फायदा होने की बात कही जा रही है, जबकि देश में 6 करोड़ यूनिट्स हैं। इस तरह से इस पैकेज से 90 फीसदी यूनिट्स को बाहर रखा गया है।

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