आरबीआई के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव को उस दौर की कमी जरूर महसूस होती है जब उनके एक एक शब्द पर बाजार थिरकता था। लेकिन अब उन्हें इस बात की खुशी है कि वह गवर्नर नहीं हैं और वह बाजार में उतार चढाव की चिंता किए बगैर अपनी बात को खुल कर रख सकने को स्वतंत्र है। सुब्बाराव के बाद आरबीआई एक बहुत मुखर गवर्नर रघुराम राजन मिले पर सुब्बाराव का कहना है कि, ‘एक तरह से केंद्रीय बैंक के हर गवर्नर को अपने बोले हुए शब्दों में जादू होने का एक गुमान भरा होता है। वे कभी कभी शिकायत करते हैं कि उनकी बात ठीक से समझी नहीं गई।’

सुब्बाराव की इस टिप्पणी का महत्व है क्यों कि इस समय ऐसी अटकलें जोरों पर हैं कि राजन ने दूसरे कार्यकाल के लिए इस कारण मना किया क्योंकि उनकी बहुत सी बातें सरकार को पसंद नहीं आईं। सुब्बाराव ने यह भी कहा कि कुछ लोगों को लगा कि वह ‘ऐसे अतिविश्वासी, दबंग केंद्रीय बैंक के गवर्नर नहीं थे जिसका बाजार सम्मान करे।’ जबकि दूसरों को लगता था कि ‘मेरा अपने आपको अपने काम तक सीमित रखने और ताम-झाम से दूर रखने वाल व्यक्तित्व गरिमापूर्ण था और उससे संवाद और प्रभावकारी होता था।’

केंद्रीय बैंक के गवर्नर के तौर पर अपने पांच साल के कार्यकाल पर आधारित अपनी पुस्तक, ‘हू मूव्ड माइ इंटरेस्ट रेट’ में सुब्बाराव ने कहा कि केंद्रीय बैंक के गवर्नर के बारे में एक अच्छी बात यह है कि आप जो कहते हैं बाजार उस पर प्रतिक्रिया जताता है। आपके हर शब्द, बारीकियों और चेहरे की शिकन को बाजार के रुख के तौर पर देखा जाता है। सुब्बाराव ने कहा, ‘अनुभव सहायक होता है, लेकिन इससे यह गारंटी नहीं होगी कि बाजार वही समझेगा जो आप समझते हैं कि आपने कहा है।’ उन्होंने कहा, ‘‘मैंने समय के साथ समझा और कभी-कभार कटु अनुभव के साथ।’

सुब्बाराव ने कहा कि आम तौर पर आरबीआई में अपने पांच साल के कार्यकाल के दौरान एक पारंपरिक और अंतर्मुखी संस्थान में खुलेपन की संस्कृति लाने के लिए उनकी प्रशंसा की जाती है और बैंक को ज्यादा पारदर्शी, उत्तरदायी और परामर्शक बनाने के लिए सराहना की जाती है। उनकी ‘बोलने के साथ साथ सुनने, लिखित दस्तावेजों को सुव्यवस्थित करने और संवाद की भाषा को आसान बनाने के लिए भी प्रशंसा होती है।’

सुब्बाराव ने कहा, ‘गवर्नर न रहने पर अब मुझे बहुत सी चीजों की कमी खलती हैं। उनमें से एक है कि मैं अपने बोले शब्दों के साथ बाजार में उतार-चढ़ाव नहीं ला सकता। साथ ही कुछ ऐसी चीजें भी है जिनका गवर्नर न होने के कारण आनंद ले पाता हूं। इनमें से एक चीज है कि मैं बाजार की गतिविधि के बारे में खौफजदा हुए बगैर मुक्त होकर बोल सकता हूं।’

सुब्बाराव ने कहा कि दुनिया भर के प्रभावशाली उदाहरण है कि कैसे केंद्रीय बैंकों ने अपनी नीति का प्रभाव बढ़ाने के लिए अपनी संवाद शक्ति का फायदा उठाया है। उन्होंने कहा, ‘अमेरिका में 11 सितंबर 2001 के आतंकी हमले के कुछ ही घंटे बाद अमेरिकी केंद्रीय बैंक के एक सामान्य से बयान जारी किया, फेडरल रिजर्व प्रणाली खुली है और काम कर रही है। रियायती सुविधा नकदी की जरूरत पूरी करने के लिए खुली है।’ उन्होंने कहा, ‘ये सामान्य से लगने वाले दो वाक्य, हमले के तुरंत बाद आए और इनका अमेरिका तथा वैश्विक वित्तीय बाजारों को शांत करने में उल्लेखनीय रूप से कारगर हुआ। घोषणा का प्रभाव उल्लेखनीय था।’’