दिवाली के दिन पूजा करने को लेकर लोग शुभ मुहूर्त का विशेष ध्यान रखते हैं। इस दिन शुभ मुहूर्त के अलावा महालक्ष्मी की पूजा करने की सही विधि भी पूजा फल पर अपना प्रभाव छोड़ती है। बता दें कि इस दिन व्यापारियों को अपने प्रतिष्ठानों में सही विधि से पूजा करनी चाहिए। जिससे उनके कारोबार में सफलता मिलती रहे।
व्यापारी करते हैं बहीखातों की पूजा: कार्तिक अमावस्या को मनाई जाने वाली दिवाली के दिन व्यापारी अपने प्रतिष्ठानों के तराजू, बाट और बहीखाते की पूजा करते हैं। इस दिन गणेश-लक्ष्मी की पूजा के साथ धन के देवता कुबेर की पूजा करना शुभ माना जाता है। मान्यता के हिसाब से दिवाली के दिन व्यापारियों का नया साल शुरू होता है। ऐसे में बहीखाता पूजन और उसकी सही विधि की अधिक अहमियत होती है।
मान्यता के तौर पर दिवाली वाले दिन बहीखातों की पूजा करने से मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है और घर में दरिद्रता प्रवेश नहीं करती। बहीखाता व्यापारियों के लिए काफी अहम होता है ऐसे में उसकी पूजा शुभ मुहूर्त में ही करनी चाहिए।
ऐसे करें पूजा: नवीन खाता पुस्तकों में लाल चंदन या कुमकुम से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं और उसपर श्री गणेशाय नम: लिखें। इसके पूजा करने के दौरान एक नई थैली लेकर हल्दी की पांच गांठें, अक्षत, कमलगट्टा, दुर्गा, धनिया व दक्षिणा रखकर थैली में भी स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं। इसके बाद विद्या की देवी मां सरस्वती का ध्यान करें।
जलाएं पंचमुखी दीपक: कारोबारी जहां पर नवग्रह यंत्र स्थापित किए हों, वहां पर रुपये, सोने या चांदी का सिक्का रखें। उसी जगह पर मिट्टी की बनी हुई गणेश-लक्ष्मी जी की मूर्ति रखें। अगर कोई धातु की मूर्ति हो तो उसे भगवान का साक्षात रूप मानकर दूध, दही और गंगाजल से स्नान कराएं और चंदन से श्रृंगार करें। पूजा करने की सही विधि में मूर्ति के दाहिने तरफ घी या तेल का पंचमुखी दीपक जलाना चाहिए। इससे व्यापार में अच्छी वृद्धि मिलती है।