देश की दो बड़ी FMCG कंपनियां-डाबर और मैरिको, अपने शहद ब्रांड को लेकर आमने-सामने हैं। विवाद इतना बढ़ गया है कि दोनों कंपनियां मामले को भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (ASCI) के पास ले गई हैं। इस बीच, विज्ञापन नियामक एएससीआई ने किसी ब्रांड का नाम लिए बिना कहा है कि उसे पिछले कुछ महीनों में शहद ब्रांडों के खिलाफ चार शिकायतें मिली हैं।
डाबर और मैरिको बीच विवाद: डाबर ने दावा किया है कि प्रतिस्पर्धी कंपनी मैरिको सफोला शहद को लेकर गलत विज्ञापन दिखा रही है। डाबर के मुताबिक मैरिको का सफोला शहद ब्रांड न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस यानी NMR परीक्षण पर खरा नहीं उतरा है। डाबर के मुताबिक परीक्षण रिपोर्ट साफ तौर पर सफोला शहद में चीनी सिरप की मौजूदगी का संकेत देती है। इस मामले को लेकर डाबर ने मैरिको के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है।
मैरिको ने की थी शिकायत: डाबर के इस दावे को खारिज करते हुए मैरिको का कहना है कि सफोला शहद, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण ( FSSAI ) के सभी गुणवत्ता मानकों पर भी खरा उतरता है। इससे पहले, मैरिको ने ASCI के समक्ष शिकायत दर्ज कराई थी। मैरिको ने डाबर के इस दावे को चुनौती दी कि उसका शहद जर्मन एनएमआर परीक्षण में सफल रहा है। मैरिको के मुताबिक डाबर ने अपने उत्पाद डाबर हनी को लेकर दावा किया है कि यह NMR जांच के अनुसार शुद्ध शहद है। NMR पर खरा होने का दावा गलत और गुमराह करने वाला पाया गया है।
मिलावटी शहद पर घिरी हैं कंपनियां: हाल ही में सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (CSE) की जांच में पता चला है कि देश की कई बड़ी नामी कंपनियां ग्राहकों को मिलावटी शहद बेच रही हैं। इनमें डाबर, पतंजलि, बैद्यनाथ, झंडू, हितकारी और एपिस हिमालय जैसी कंपनियां भी शामिल हैं। हालांकि, डाबर और पतंजलि का कहना है कि हम भारत में ही प्राकृतिक तौर पर मिलने वाला शहद इकट्ठा करते हैं और उसी को बेचते हैं। इन दोनों कंपनियों के मुताबिक CSE जांच के जरिए ब्रांड्स की छवि खराब करने की कोशिश की जा रही है।