सोमवार (24 अक्टूबर) को टाटा समूह के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने समूह के चेयरमैन ने साइरस मिस्त्री को पद से हटाने का फैसला लिया। कारोबार जगत के साथ ही शेयर बाजार भी इस खबर से हैरान रह गया। नतीजा ये हुआ कि टाटा समूह के मार्केट वैल्यू में 19,400 करोड़ रुपये की कमी आई है। पिछले दो दिनों से शेयर बाजार में टाटा समूह की सभी प्रमुख कंपनियों के शेयरों में गिरावट देखी गई। 48 वर्षीय मिस्त्री को साल 2012 में समूह का चेयरमैन बनाया गया था। समूह के नौ सदस्यीय बोर्ड में से छह ने मिस्त्री को हटाने के पक्ष में वोट डाला। दो लोगों ने खुद को इससे दूर रखा। नौवें सदस्य खुद मिस्त्री थे जो इस प्रकिया में नहीं शामिल नहीं हुए।
टाटा समूह की सबसे ज्यादा मार्केट वैल्यू वाली कंपनी टीसीएस के शेयर में पिछले दो दिनों में 1.3 प्रतिशत की गिरावट आई है। टाटा को दो दिनों में केवल टीएसएस के शेयरों में 6059 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। वहीं पिछले दो दिनों में टाटा मोटर्स (डीवीआर के शेयर समेत) के बाजार भाव में 9610 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। मिस्त्री को हटाए जाने के बाद के दो दिनों में बाजार भाव के हिसाब से टाटा स्टील (2640 करोड़ रुपये) टाइटन (244 करोड़ रुपये) और टाटा पावर (811 करोड़ रुपये) भी घाटे में रहे। पिछले दो दिनों में शेयर बाजार में 1.3 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।
वीडियो: मीडिया के सवाल से बचते दिखे रतन टाटा-
टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा समूह के अंतरिम चेयरमैन बनाए गए हैं। रतन टाटा ने मंगलवार (25 अक्टूबर) को समूह के सभी सीआईओ से कहा कि उन्हें नेतृत्व में परिवर्तन से चिंतित होने की जरूरत नहीं है। रतन टाटा ने कहा कि सीईओ को अपने कारोबार और कंपनी को बाजार में अगुआ बनाने पर ध्यान देना चाहिए। मंगलवार को ही टाटा संस ने जगुआर लैंड रोवर के सीईओ राल्फ स्पेथ और टीसीएस के सीईओ एन चंद्रशेखरन को समूह का एडिशनल डायेरक्टर बनाया।
साइरस मिस्त्री ने टाटा समूह के खिलाफ खोला माेर्चा, देखें वीडियो:
मिस्त्री ने कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को भेजे ईमेल में कहा कि उन्हें बचाव का मौका नहीं दिया गया और उन्हें पद से हटाने के दौरान निर्धारित प्रक्रिया का भी पालन नहीं किया गया। मिस्त्री ने अपने ईमेल में कहा कि उन्हें पद संभालने के बाद आजादी से काम करने का मौका नहीं दिया गया जबकि उनसे इसका वादा किया गया था। मिस्त्री के अनुसार उनके कारोबार का तरीका रतन टाटा से काफी अलग था जो कोरस और जगुआर जैसी विदेशी कंपनियां खरीदने पर अरबों डॉलर खर्च करते थे। साइरस मिस्त्री टाटा समूह के चेयरमैन बनने वाले ऐसे दूसरे सदस्य थे जो टाटा परिवार से नहीं थे। उनसे पहले टाटा खानदान से बाहर के नौरोजी सकलतवाला 1932 में कंपनी के प्रमुख रहे थे।
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