कैशलेस ट्रांजेक्शन के इस दौर में क्रेडिट कार्ड काफी उपयोगी हो चुके हैं। कई बार मौके पर बैलेंस न होने पर भी क्रेडिट कार्ड के जरिए खर्च किया जा सकता है और बाद में उसकी पेमेंट कर सकते हैं। हालांकि क्रेडिट कार्ड का जमकर इस्तेमाल करना और सिर्फ मिनिमम पेमेंट करना खतरनाक हो सकता है। भले ही सुनने में यह कुछ ज्यादा लग रहा हो, लेकिन क्रेडिट कार्ड के ब्याज के सिस्टम को यदि आप समझ जाएंगे तो यह गलत नहीं लगेगा। यदि आप अपने क्रेडिट कार्ड पर 10 हजार रुपए खर्च करते हैं और बिल कहता है आपके पास सिर्फ 500 रूपए मिनिमम अमाउंट ड्यू करने का भी विकल्प है तो समझ जाए आप जाल में फंस रहे हैं। आप क्रेडिट कार्ड का उपयोग करते हैं तो आपके पास तीन ऑप्शन आते हैं…
साल में लगता है 40 पर्सेंट तक ब्याज: पहला ऑप्शन पूरा भुगतान करने का होता है, दूसरा ऑप्शन में मिनिमम अमाउंट ड्यू यानी 5 पर्सेंट भुगतान का विकल्प होता है। मिनिमम अमाउंट ड्यू केस में बची हुई 95% राशि पर ब्याज लिया जाता है। MAD कार्ड कंपनियों द्वारा प्रदान की गई है योजना है, जिसमें आप पूरी राशि के बजाय उसका 5 फीसदी बिल का भुगतान कर सकते हैं। अगले बिलिंग पीरियड में यह 3-4 पर्सेंट ब्याज के साथ जुड़कर आ जाता है। एक साल में यह 40 पर्सेंट से ज्यादा भी हो सकता है।
कितना सही है मिनिमम पेमेंट करना: किसी एक बिलिंग पीरियड में यदि आप क्रेडिट कार्ड का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं तो आप का बिल अधिक आना स्वाभाविक है। वास्तविक समस्या तब शुरू होती है जब आप फुल पेमेंट ही नहीं बल्कि मिनिमम पेमेंट करना भी मिस कर देते हैं। इसपर आपको हजार रुपए तक की पेनल्टी चुकानी पड़ सकती है। हालांकि क्रेडिट कार्डधारक को मिनिमम पेमेंट से बचना चाहिए। इसकी वजह यह है कि एक बार मिनिमम पेमेंट कर देते हैं तो बचा हुआ बैलेंस आपके अगले बिल में आता है और इस पर भी इंटरेस्ट जारी रहता है।
क्या है बिलिंग पीरियड: मान लीजिए कि आपका क्रेडिट कार्ड हर महीने 10 तारीख को आता है तो फिर आपका नया महीना 11 तारीख से शुरू होगा और अगले महीने की 10 तारीख तक चलेगा। इस दौरान आपके द्वारा किए हए ट्रांजेक्शन आपके बिल में दिखेंगे। इसमें शॉपिंग नकद निकासी पेमेंट और अन्य तमाम खर्चे शामिल हो सकते हैं।