कोयला घोटाला के आरोपी और कांग्रेस नेता नवीन जिंदल के औद्योगिक समूह से जुड़े एक व्यक्ति ने विशेष न्यायाधीश से एकाधिक बार संपर्क करने की कोशिश की। अदालत ने उन्हें भविष्य में ऐसा न करने की चेतावनी दी। जिंदल के वकील हरिहरन ने अदालत से कहा कि जिंदल समूह प्रबंधन ने इस मुद्दे का संज्ञान लिया है। भविष्य में ऐसे आचरण की पुनरावृत्ति नहीं होगी।

हरिहरन ने विशेष सीबीआइ न्यायाधीश भरत पराशर से कहा,‘प्रबंधन ने इसका कड़ा संज्ञान लिया है। हम कार्रवाई कर रहे हैं। मैं आपको आश्वासन देता हूं कि यह फिर बिल्कुल नहीं होगा। मुझे आज सुबह ही इस बात का पता चला।’ अदालत के सूत्र के मुताबिक आरोपी ने न्यायाधीश से संपर्क करने की कथित रूप से कोशिश की थी। इसके बाद अदालत ने उसे चेताया था और चेतावनी दी थी कि यदि ऐसी चीज दोहराई गई तो वह कार्रवाई करेंगे।

जिंदल रियलटी प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक राजीव जैन और गगन स्पांज आयरन प्राइवेट लिमिटड (जीएसआइपीएल) के निदेशक गिरीश कुमार सुनेजा इस मामले में अन्य आरोपियों में शामिल हैं।

सुनवाई शुरू होने पर न्यायाधीश ने सभी आरोपियों के वकीलों से कहा कि ऐसा फिर हुआ है। वह केस रिकार्ड में उसका जिक्र करेंगे। न्यायाधीश ने कहा,‘मुझे यह कहते हुए बड़ा दुख है कि इस मामले में इतने वरिष्ठ वकीलों के पेश होने पर मैंने आशा नहीं की थी ऐसा होगा।’ हालांकि उन्होंने उनसे संपर्क करने वाले आरोपी की पहचान को सार्वजनिक नहीं किया। हरिहरन के आश्वासन के बाद न्यायाधीश ने कहा,‘यह फिर हुआ। इसे फिर दोहराया गया। यदि आप चाहते हैं कि मैं इसका रिकार्ड में जिक्र करुं तो मैं करुंगा।’

इस पर हरिहरन ने सफाई दी कि उन्हें इस घटना की जानकारी नहीं है। वह संबंधित व्यक्ति के खिलाफ प्रबंधन द्वारा की कार्रवाई से अदालत को अवगत कराएंगे। सुनवाई के दौरान अदालत ने वहां मौजूद नवीन जिंदल से कहा,‘क्या आप वर्तमान सांसद हैं।’ इस पर जिंदल ने कहा,‘नहीं।’

अदालत ने सीबीआइ की ओर से पेश दस्तावेजों की जांच के लिए मामले की सुनवाई की अगली तारीख 30 जून रखी।
यह मामला जिंदल समूह की दो कंपनियों- जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड (जेएसपीएल) और गगन स्पांज आयरन प्राइवेट लिमिटेड (जीएसआइपीएल) को झारंखड में अमरकोंडा मुरगादंगल कोयला ब्लाक के आबंटन में कथित अनियमितता से जुड़ा है।

सुनवाई के दौरान अदालत ने बचाव पक्ष के वकीलों से दस्तावेजों की जांच की प्रगति के बारे में पूछा। आरोपी पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्त ने न्यायाधीश से कहा कि सीबीआइ की ओर से उपलब्ध कराए गए दस्तोवजों की सीडी काम नहीं कर रही है। इसके बाद न्यायाधीश ने जांच अधिकारी को आरोपी को उपयुक्त सीडी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा के वकील ने भी कहा कि उन्हें भी सरकारी गवाहों के बयानों की प्रतियां चाहिए। अदालत ने जांच अधिकारी को इसे उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।

अदालत ने जीएसआइपीएल के निदेशक राधा कृष्ण सराफ के वकील मोहित माथुर की यह अर्जी स्वीकार कर ली कि उनके मुवक्किल को बीमारी की वजह से पेशी से छूट दी जाए। माथुर ने अदालत से कहा कि सराफ 81 साल के हैं। वो अस्वस्थ रहते हं। उनकी दृष्टि भी धीरे-धीरे खत्म हो रही है, इसलिए उन्हें अगली सुनवाई के दिन पेशी से छूट दी जाए। हालांकि अदालत ने कहा,‘आरोपी की वृद्धावस्था और उसकी अस्वस्थता को ध्यान में रखते हुए उसे आरोप निर्धारण के चरण तक पेशी से छूट दी जाती है लेकिन यह निर्देश दिया जाता है कि जब भी छूट की जरूरत हो, तो वकील आवेदन दे सकते है। उस चरण में उस पर विचार किया जाएगा।’

अदालत ने बचाव पक्ष के वकीलों से यह भी कहा कि मामले पर रोजाना आधार पर सुनवाई होगी। उन्हें अपनी डेट डायरी उस हिसाब से समायोजित करनी होगी। अदालत ने नवीन जिंदल, कोडा, पूर्व कोयला राज्यमंत्री दसारी नारायण राव, गुप्त, सराफ और पांच अन्य को पहले ही जमानत दे दी थी। अदालत ने उन्हें सबूतों से छेड़छाड़ न करने या गवाहों को प्रभावित नहीं करने का निर्देश दिया।

उनके अलावा जिन अन्य लोंगों को जमानत मिली है उनमें न्यू दिल्ली एक्जिम प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक सुरेश सिंघल, जीएसआइपीएल के निदेशक गिरीश कुमार सुनेजा, सौभाग्य मीडिया लिमिटेड के प्रबंधक निदेशक के रामकृष्ण प्रसाद और चार्टर्ड एकाउटेंट ज्ञान स्वरूप गर्ग शामिल हैं।

इन दस आरोपियों के अलावा पांच कंपनियां- जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड, जिंदल रियलटी प्राइवेट लिमिटेड, गगन इंफ्राइनर्जी लिमिटेड (जिसे पहले जीएसआइपीएल के नाम से जाना जाता था), सौभाग्य मीडिया लिमिटेड और न्यू देलही एक्जिम प्राइवेट लिमिटेड भी इस मामले में आरोपी हैं।

सीबीआइ ने अपने आरोपपत्र में आरोप लगाया था कि जिंदल ने अपने समूह की कंपनियों को अमरकोंडा मुरगादंगल में आबंटन की सिफारिश के बदले झारखंड में तत्कालीन अस्थिर कोड़ा सरकार को कांग्रेस के समर्थन का वादा किया था। तत्कालीन निर्दलीय विधायक कोड़ा 14 सितंबर, 2006 से 23 अगस्त, 2008 तक कांग्रेस, राजद और अन्य के समर्थन से झारखंड के मुख्यमंत्री थे।
आरोपियों को तलब करते हुए अदालत ने कहा था कि जिंदल ने झारखंड में अनपयुक्त कोयला ब्लॉक आबंटन हासिल करने के लिए प्रथम दृष्टया पूरी सरकारी मशीनरी से छेड़छाड़ की थी। अदालत ने कहा था कि सभी 15 आरोपियों के खिलाफ प्रथम दृष्टया भादसं की धाराएं 120 बी (आपराधिक साजिश) 409 (लोकसेवक द्वारा आपराधिक ढंग से विश्वासघात), धारा 420 (धोखाधड़ी) और भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम की धाराएं 13 (1)(सी), 13 (1)(डी) के तहत अपराध बनते हैं। भादसं की धारा 409 के तहत अधिकतम सजा उम्रकैद है।