कोयला मंत्रालय के अधिकारियों की पूर्व कांग्रेस सांसद नवीन जिंदल की अगुआई वाली जेएसपीएल (जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड) को मंजूरी सीमा से करीब तीन गुना अधिक कोयले के अवैध खनन की इजाजत में मौन सहमति थी। कोयला खान आबंटन घोटाला मामले में सीबीआइ जांच में यह दावा किया गया है।
एजंसी ने मामले में दर्ज प्राथमिकी में इन बातों को शामिल किया है। जांच एजंसी ने आरोप लगाया है कि मंत्रालय के अधिकारियों ने अत्यधिक खनन को लेकर न केवल आंखें मूंद लीं बल्कि उसे नियमित भी कर दिया। मामला कोयला घोटाले में सीबीआइ की जारी जांच से जुड़ा है। एजंसी ने कंपनी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है जिसमें आरोप लगाया गया है कि मंजूरी प्राप्त खनन योजना के तहत कोयला खनन करने के बजाए कंपनी ने अवैध तरीके से अत्यधिक खनन का रास्ता अपनाया। प्राथमिकी में एजंसी ने आरोप लगाया है कि 1998-99 से 2002-03 के दौरान 13.5 लाख टन कोयले के उत्पादन की मंजूरी थी। जबकि वास्तविक उत्पादन 59 लाख टन किया गया। अवैध तरीके से 45.5 लाख टन कोयले का खनन किया गया जो मंजूरी प्राप्त खनन का 300 फीसद अधिक है।
अपनी स्थिति का बचाव करते हुए जेएसपीएल के प्रवक्ता ने दावा किया कि खनन योजना में पहले पांच साल के लिए उत्पादन कार्यक्रम का जो जिक्र था, वह एमसीआर 1960 नियम 22 (5) के तहत उल्लेखित दिशानिर्देश पर किया गया था। उसे आरक्यूपी (पंजीकृत पात्र व्यक्ति) तैयार करता है और वह अस्थाई किस्म का होता है। प्रवक्ता ने कहा कि पहले साल तक सालाना 20 लाख टन उत्पादन क्षमता की मंजूरी मिली थी और वहां से कुल मिलाकर अतिरिक्त खनन नहीं किया गया।
सीबीआइ ने आरोप लगाया कि पूरे पांच साल कोयले का अतिरिक्त खनन हुआ और कोयला मंत्रालय से कोई पूर्व मंजूरी नहीं ली गई। सीबीआइ ने आरोप लगाया कि अतिरिक्त खनन का मामला कंपनी के 2004 में संशोधित खान योजना के लिए कोयला मंत्रालय की स्थायी समिति के समक्ष की गई प्रस्तुति के समय रिकार्ड में आया लेकिन मंत्रालय ने कंपनी के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया।
आरक्यूपी की भूमिका भी सीबीआइ जांच के घेरे में है। जांच एजंसी का कहना है कि आरक्यूपी ने खनन योजना सही नहीं बनाई और मंत्रालय के नोटिस में अनियमित खनन पट्टा सामने आने के बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया। लेकिन कंपनी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। एजंसी का आरोप है कि दिलचस्प बात यह है कि निलंबित आरक्यूपी की 2008 की संशोधित खनन योजना में भी अहम भूमिका रही।
