झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने आज विशेष सुनवाई अदालत के समक्ष कहा कि नवीन जिंदल समूह की कंपनी को कोयला ब्लॉक आबंटन के संदर्भ में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को ‘सबकुछ पता’ था।

मनमोहन सिंह को बतौर आरोपी अदलात में तलब किये जाने का अनुरोध करते हुए कोड़ा ने कहा कि जिंदल समूह की कंपनी को झारखंड में अमरकोंडा मुर्गादंगल कोयला ब्लॉक आबंटन में अगर कोई साजिश हुई थी, तो यह उस समय कोयला मंत्री की भी जिम्मेदारी संभाल रहे तत्कालीन प्रधानमंत्री की जानकारी के बिना नहीं हो सकती थी।

कोड़ा के वकील ने सीबीआई के विशेष न्यायाधीश भरत पराशर के समक्ष कहा, ‘‘कोयला मंत्री (सिंह) हर चीज से वाकिफ थे और अगर यह साजिश थी जैसा कि सीबीआई कह रही है, यह साजिश कोयला मंत्री की जानकारी के बिना पूरी नहीं हो सकती थी।’’

वकील के अनुसार सिंह यह कहकर नहीं बच सकते कि उन्हें मामले में अंधेरे में रखा गया क्योंकि उन्हें उस पूरी प्रक्रिया के बारे में पता था, जिसके आधार पर कोयला ब्लॉक जिंदल समूह की कंपनी को दी गयी।

उन्होंने कहा कि सीबीआई के अनुसार तत्कालीन कोयला राज्यमंत्री दसारी नारायण राव चाहते थे कि कोयला ब्लाक का आबंटन जिंदल समूह को किया जाए ‘लेकिन वास्तव में जो व्यक्ति इसके पीछे था, वह प्रधानमंत्री थे जिन्होंने इसकी मंजूरी दी।’

राव भी मामले में आरोपी हैं। मधु कोड़ा के वकील ने अपनी दलीलें पूरी कर ली। उसके बाद वरिष्ठ सरकारी अभियोजक वी के शर्मा ने कहा कि वह इसका कल जवाब देंगे।

कोड़ा ने अपनी याचिका में तत्कालीन ऊर्जा सचिव आनंद स्वरूप, तत्कालीन सचिव (खान एवं भूगर्भ) जय शंकर तिवारी के साथ सिंह को बतौर आरोप तलब किये जाने का अनुरोध किया है। याचिका में दलील दी गयी है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री को शामिल किये बिना सबीआई का साजिश का सिद्धांत अपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि कोयला ब्लाक के आबंटन के मामले में अंतिम निर्णय लेने का अधिकार कोयला मंत्रालय की भी जिम्मेदारी संभाल रहे सिंह का था और वे अपने निर्णय के परिणाम से बच नहीं सकते।

मामला जिंदल समूह की दो कंपनियों जिंदल स्टील एंड पावर लि. (जेएसपीएल) तथा गगन स्पांजी आयरन प्राइवेट लि. (जीएसआईपीएल) को अमरकोंडा मुर्गादंगल कोयला ब्लाक के आबंटन में कथित अनियमितता से जुड़ा है।

इस मामले में सीबीआई ने पूर्व में कोड़ा, कांग्रेस नेता एवं उद्योगपति नवीन जिंदल तथा 13 अन्य के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल कर चुकी है।

स्वरूप और तिवारी के संदर्भ में कोड़ा ने कहा कि वे कंपनियों के आवेदनों के आकलन तथा राज्य द्वारा सिफारिश हेतु उपयुक्त आवेदनकर्ता के बारे में सुझाव देने के लिये झारखंड सरकार द्वारा गठित तीन सदस्यीय उप-समूह का हिस्सा थे।