चीन को सीमा पर जारी तनाव का जवाब देने के मकसद से कई सरकारी विभाग चीन से आयात कम करने की रणनीति तैयार कर रहे हैं। इसके अलावा चीनी कंपनियों के कई ठेके भी कैंसल किए गए हैं। इस बीच सभी की नजर गृह मंत्रालय की है, जो एक कंपनी से 50,000 बुलेटप्रूफ जैकेट्स को खरीदने की तैयारी में है। कहा जा रहा है कि इन बुलेटप्रूफ जैकेट्स में चीनी सामान लगा है और इन्हें भारत-चीन सीमा पर तैनात इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस के जवानों को दिया जाएगा। ये जवान चीन के साथ लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तैनात हैं। यहां तक कि पैंगोंग झील के पास चीनी सैनिकों से संघर्ष में भी ये शामिल हैं।

इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक जैकेट्स को तैयार करने वाले वेंडर ने कच्चे माल को पश्चिमी देशों की बजाय चीन से ही आयात करना शुरू कर दिया है। इसके बाद भी 1,80,000 जैकेट्स का ऑर्डर देने वाला रक्षा मंत्रालय अब भी इस डील से पीछे नहीं हटा है। इसी महीने कम से कम तीन टेंडर जमा होने वाले हैं, जिनमें यह नियम शामिल नहीं है कि चीनी सामान का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। अभी तक तय नियमों के मुताबिक वेंडर्स को यह आजादी होगी कि वे जैकेट्स के मुख्य कंपोनेंट हाई परफॉर्मेंस पॉलिथिलीन का चीन से आयात कर सकेंगे।

इंडस्ट्री के सूत्रों के मुताबिक इस टेंडर की डेडलाइन में अब कुछ ही दिन बचे हैं। अब तक भारतीय सेना जिन चीजों का इस्तेमाल करती रही है, उनके लिए सामान का आयात पश्चिमी देशों से होता रहा है। लेकिन 2018 में 639 करोड़ रुपये के जैकेट्स के टेंडर को लेने वाले वेंडर ने कच्चे सामान को यूरोपीय देशों या फिर अमेरिका से लेने की बजाय चीन से आयात करने का फैसला कर लिया। माना जा रहा है कि इन जैकेट्स को तैयार करने में 40 फीसदी सामान चीन से आयात होगा।

सूत्रों के मुताबिक सेलेक्शन की प्रक्रिया के दौरान वेंडर ने जो जैकेट्स सैंपल के तौर पर पेश की थीं, उनमें यूरोप और अमेरिका जैसे पश्चिमी देशों से आयातित मैटिरियल लगा था, लेकिन वेंडर ने टेंडर हासिल करने के बाद कॉन्ट्रैक्ट को बदल दिया। इसके बाद भी सेना की ओर से कोई ऐतराज इसलिए नहीं किया गया क्योंकि कहना था कि भले ही उसने सप्लायर बदल दिए हैं, लेकिन प्रोडक्ट की क्वालिटी पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा।