भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के चेयरमैन अजय त्यागी ने मंगलवार (18 सितंबर) को बताया कि कथित नियामक चूक मामले में आईसीआईसीआई बैंक सेबी से सेटलमेंट की बात कर रहा है। इस मामले में आईसीआईसीआई की मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ चंदा कोचर, वीडियोकॉन ग्रुप और नुपावर रेनेवेबल्स कंपनी के मालिक और चंदा कोचर के पति दीपक कोचर शामिल हैं। अजय त्यागी ने बताया कि ये लोग सहमति की व्यवस्था के तहत मामले का निपटारा चाहते हैं। सहमति से निपटारे की प्रक्रिया के तहत, सेबी द्वारा जांच का सामना करने वाली इकाई को कथित अनियमितताओं की स्वीकारोक्ति या इनकार के बिना कुछ फीस और प्रतिबंधों के अधीन किया जाता है और इसके बाद नियामक अपने आरोपों और जांच को एक चेतावनी के साथ छोड़ देता है कि इसके लिए किए गए सभी खुलासे सही हैं। त्यागी ने कहा कि कोचर के द्वारा प्रतिभूति कानून के तहत प्रकटीकरण मानदंडों में कथित चूक की जांच के संबंध में बैंक से नियामक को कारण बताओं नोटिस प्राप्त हुआ है।
आईसीआईसीआई के एक प्रवक्ता ने कहा, ”सेबी के द्वारा जारी किए गए कारण बताओ नोटिस पर हमारी प्रतिक्रिया दे दी गई है। हम स्पष्ट करना चाहेंगे कि निपटारे के लिए हमने कोई आवेदन दायर नहीं किया है।” सेबी ने आईसीआईसीआई बैंक और चंदा कोचर को 24 मई 2018 को प्रतिभूर्ति अनुबंध (विनियमन) अधिनियम 1956 (अभियोजन अधिकारी द्वारा पूछताछ की जांच और जुर्माना लगाने के लिए प्रक्रिया) नियम 2005 के नियम 4 (1) के अंतर्गत एक नोटिस भेजा था, जिसमें भूतपूर्व सूचिबद्ध अनुबंध और सेबी (सूचिबद्ध दायित्व और प्रकटीकरण आवश्यकताएं) नियम 2015 के कुछ प्रावधानों के साथ कथित गैर अनुपालन के संबंध में प्रतिक्रिया मांगी गई थी। कोचर और बैंक दोनों इस बात पर कायम रहे कि उनकी ओर से नियामक उल्लंघन नहीं हुआ और कोचर उनके पति के द्वारा विशिष्ट व्यापार लेनदेन के बारे में अवगत नहीं थीं।
इंडियन एक्सप्रेस ने 29 मार्च को पहली बार यह खबर प्रकाशित की थी कि वीडियोकॉन गुप के प्रमोटर वेणुगोपाल धूत ने नुपावर रेनेवेबल्स प्राइवेट लिमिटेड (एनआरपीएल) को करोड़ों रुपये मुहैया कराए थे, यह वही कंपनी है जिसे आईसीआईसीआई बैंक से 2012 में वीडियोकॉन ग्रुप को 3250 करोड़ की लोन मिलने के 6 महीने बाद दीपक कोचर और दो रिश्तेदारों के साथ शुरू किया गया था। वेणुगोपाल ने आईसीआईसीआई बैंक से लोन मिलने के 6 महीने बाद कंपनी के स्वामित्व को दीपक कोचर के स्वामित्व वाले ट्रस्ट को 9 लाख रुपये में स्थानांतरित कर दिया था। 3250 करोड़ रुपये में से लगभग 86 फीसदी यानी 2810 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया गया है। 2017 में वीडियोकॉन के खाते को एनपीए यानी नॉन परफॉर्मिंग एसेट घोषित किया गया था।

