भारत में कार लेते समय व्यक्ति कार की माइलेज, बूट स्पेस, फीचर्स कीमत और स्पेसिफिकेशन जैसी चीजों को न सिर्फ ध्यान में रखते हैं बल्कि उनकी अच्छी तरह जांच पड़ताल भी करते हैं। लेकिन एक चीज जो कार में बहुत जरूरी होती है उसको अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है जो होते हैं कार के सेफ्टी फीचर्स।
इन्ही सेफ्टी फीचर्स की कमी के चलते भारत में होने वाले सड़क हादसों में अक्सर कार में सवाल लोगों की जान चली जाती है। ग्राहकों को इस सेफ्टी फीचर्स के प्रति उदासीनता के चलते कार निर्माता कंपनियां भी इस तरफ खास ध्यान नहीं देती।
वर्तमान में सेफ्टी फीचर्स के मामले में सिर्फ तीन कार हैं जिनको ग्लोबल एनकैप क्रैश टेस्ट में 5 स्टार रेटिंग मिली हुई है। लेकिन अब कार चालकों की सुरक्षा को देखते हुए एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है। जिसमें अब ग्लोबल एनकैप क्रैश टेस्ट में अब हर कंपनी की कार में ईएससी के फीचर का होना जरूरी है जिसके बाद ही इस कार को क्रैश टेस्ट में रेटिंग मिलेगी।
आपने ईएससी यानी इलेक्ट्रॉनिक स्टेबिलिटी कंट्रोल फीचर को जरूरी बनाए जाने के बारे में तो पढ़ लिया लेकिन अब जान भी लीजिए की क्या होता है ये ESC फीचर।
दरअसल ईएससी यानी इलेक्ट्रॉनिक स्टेबिलिटी कंट्रोल एक सेफ्टी फीचर होता है। ये फीचर कार के सभी पहियों में अलग ब्रेक लगाने में मदद करता है इस फीचर के चलते ही गाड़ी गाड़ी की स्पीड कम हो जाती है और ब्रेक लगाने में आसानी रहती है। (ये भी पढ़ें– भारत की टॉप 5 CNG कार जो दिलाएंगी पेट्रोल के बढ़ते दाम से आजादी)
ग्लोबल एनकैप के क्रैश टेस्ट में अभी तक गाड़ियों को मात्र 64 किलोमीटर प्रति घंटे की टॉप स्पीड पर क्रैश टेस्ट किया जाता था लेकिन इस ईएससी फीचर के जरूरी होने के बाद कार कंपनियों की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं।
ESC एक ऐसा फीचर है जो आमतौर पर भारत में आने वाली बजट कारों में नहीं मिलता है। क्योंकि इसकी लागत 5 हजार रुपये तक आती है जिसके चलते कंपनियां इसको लगाने से बचती हैं। लेकिन ग्लोबल एनकैप द्वारा इस फीचर को जरूरी करने के बाद कंपनी को हर बजट की कार में इस फीचर को लगाना जरूरी होगा।
भारत में टाटा और महिंद्रा की कारों को बेहद मजबूत और टिकाऊ माना जाता है जिसमें टाटा की अल्टरोज और नेक्सॉन कार को इस क्रैश टेस्ट में 5 स्टार रेटिंग मिली हुई है इसके अलावा महिंद्रा की एक्सयूवी 300 को भी इस क्रैश टेस्ट में 5 स्टार रेटिंग मिली हुई है।