Boycott Chinese imports: : भारत और चीन की सेनाओं के बीच लद्दाख के गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद से ही देश में गुस्से का माहौल है। लोग लगातार चीनी सामान के बहिष्कार की मांग कर रहे हैं। देश भर में चीन के प्रोडक्ट को इस्तेमाल ना करने की जंग चालू है। इसी बीच कुछ दिग्गज कंपनियों के अधिकारी चाइना के समान के बहिष्कार पर अपनी राय रखते हुए नजर आ रहे हैं। हाल ही में मारुति सुजुकी के चेयरमैन आर सी भार्गव ने कहा कि चीन से आयात होने वाले समान का बहिष्कार भारतीय विनिर्माण की पकड़ मजबूत करेगा। लेकिन लोगों को यह याद रखना चाहिए कि पड़ोसी देश से मंगाए जाने वाले उत्पाद के लिए हमें भविष्य में ज्यादा भुगतान करना पड़ सकता है।
हालांकि उन्होंने कहा कि लंबी अवधि के लिए लगातार आयात करना भारत के व्यावसायिक हित में नहीं है” लेकिन हमें कुछ उत्पादों का आयात जारी करना होगा। क्योंकि भारत में इसके लिए हमें काफी कम विकल्प हैं, इसके साथ ही गुणवत्ता और मूल्य निर्धारण के मुद्दे भी देखने पड़ेगे। “हर कोई जानता है कि समय के साथ उत्पादों का आयात करना अधिक से अधिक महंगा हो जाता है, क्योंकि रुपया कमजोर हो जाता है। यदि आप 10 साल पहले कुछ आयात कर रहे थे, तो आज उसी उत्पाद पर 60-70 प्रतिशत अधिक लागत आएगी।
भार्गव ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि, ” वास्तव में आयात जारी रखना किसी के भी व्यावसायिक हित में नहीं है, आप आयात करते हैं क्योंकि आपके पास वास्तव में बहुत कम विकल्प हैं।” उन्होंने आगे कहा, प्रधानमंत्री ने आत्मानिर्भर अभियान के बारे में जो कहा है, उसका सही मायनों में यही अर्थ है, कि आप प्रतिस्पर्धी कीमतों पर भारत में अधिक उत्पाद बनाना शुरू करें तो लोग उन उत्पादों का आयात नहीं करेंगे। ”
यह बताते हुए कि भारत में उद्योग आयात क्यों करते हैं, उन्होंने कहा, इसका कारण यह है कि या तो उत्पाद भारत में नहीं बना है, याा उपलब्ध नहीं है, या जो भारत में बना है वह सही गुणवत्ता पर नहीं है, या फिर भारत में बनाया गया उत्पाद बहुत महंगा है। ” इसलिए कंपनियां बाहर से आयात करने पर मजबूर हैं।