देश की मशहूर कैफे कॉफी डे चेन के मालिक रहे वीजी सिद्धार्थ ने बीते साल अपनी मौत से पहले कंपनी से 2700 करोड़ रुपये की रकम निकाली थी। वीजी सिद्धार्थ की आत्महत्या के बाद मिले नोट की जांच में यह खुलासा हुआ है। कंपनी ने शुक्रवार को एक फाइलिंग में बताया कि वीजी सिद्धार्थ ने कैफे कॉफी डे की सहायक कंपनियों को रकम का भुगतान करवाया था। कंपनी का कहना है कि इस रकम का इस्तेमाल उन्होंने शेयर्स की खरीद, लोन चुकाने और उनका ब्याज अदा करने में किया था। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक कैफे कॉफी डे का कहना है कि वह सिद्धार्थ की कंपनी मैसूर अमाल्गमेटेड कॉफी एस्टेट्स लिमिटेड से पैसे की रिकवरी करेगी।

बता दें कि बीते साल जून में वीजी सिद्धार्थ टहलने की बात कहकर घर से निकले थे और फिर एक नदी में कूदकर जान दे दी थी। इस सनसनीखेज घटना के दो दिन बाद उनका शव मिला था। आत्महत्या से कुछ समय पहले ही उन्होंने एक लेटर कैफे कॉफी डे बोर्ड के नाम लिखा था, जिसमें उन्होंने भारी कर्ज और कर्जदाताओं की ओर से दबाव डालने का जिक्र किया था। यही नहीं उन्होंने कई अज्ञात ट्रांजेक्शंस की जिम्मेदारी भी ली थी।

कर्ज और टैक्स एजेंसियों के ऐक्शन ने बढ़ाई थी चिंता: सिद्धार्थ के लेटर और एक जांच एजेंसी के पूर्व अधिकारी अशोक कुमार मल्होत्रा की ओर से किए गए ट्रांजेक्शंस में यह बात सामने आई है कि उन पर एक तरफ लोन की पेमेंट चुकाने का दबाव था तो दूसरी तरफ टैक्स अथॉरिटीज की ओर से संपत्तियां अटैच किए जाने से भी वह परेशान थे। सिद्धार्थ ने अपने आखिरी नोट में लिखा था, मैं कहना चाहता हूं कि मैंने अपनी ओर से हरसंभव प्रयास किया है। मैं उन लोगों से माफी मांगता हूं, जिन्होंने मुझ पर भरोसा किया था और मैंने उन्हें निराश किया। मैं लंबे वक्त लड़ाई लड़ी, लेकिन आज मैं हार मानता हूं।’

इन्वेस्टमेंट बैंक ने खड़ा किया कॉफी डे का बिजनेस: मूल रूप इन्वेस्टमेंट बैंकर रहे वीजी सिद्धार्थ का जन्म चिकमंगलूर में हुआ था। उनका परिवार कॉफी का उत्पादन करता था और इसे बिजनेस में तब्दील करने के आइडिया पर काम करते हुए उन्होंने 1996 में आईटी हब बेंगलुरु में कैफे कॉफी डे की शुरुआत की थी। उनकी यह चेन काफी लोकप्रिय हुई और देश में स्टारबक्स जैसी कंपनियों के आने से पहले काफी ग्रोथ हासिल की। यहां तक कैफे कॉफी डे को दुनिया भर में मशहूर Starbucks का भारतीय अवतार कहा जाने लगा था।

चुपचाप कर्ज तले दबते गए वीजी सिद्धार्थ: दो बच्चों के पिता वीजी सिद्धार्थ को एक कामयाब कारोबारी के तौर पर पहचान मिली और देखते ही देखते देश भर में 1700 स्टोर खुल गए। हालांकि उनका यह कारोबार धीरे-धीरे कर्ज के संकट में फंसता जा रहा था और ऊंची ब्याज दर पर कई छोटे लोन लेने के चलते वह लगातार संकट में आते गए और अंत में उन्होंने आत्महत्या जैसा दुर्भाग्यपूर्ण कदम उठा लिया।

कंपनी पर अब भी बाकी है 3200 करोड़ रुपये का कर्ज: वीजी सिद्धार्थ के इस लेटर ने भारत की बिजनेस कम्यिुनिटी को सकते में डाल दिया था। इसके अलावा इस घटना ने कारोबारी समुदाय में बढ़ते कर्ज को लेकर भी चिंता पैदा की। खासतौर पर कोरोना वायरस के इस संकट के दौर में कंपनियों की हालत और खस्ता होती दिख रही है। वीजी सिद्धार्थ और उनकी कंपनियों पर कुल 7200 करोड़ रुपये की देनदारी बकाया था। कंपनी ने बेंगलुरु स्थित एक टेक पार्क को बेचकर 2700 करोड़ रुपये की रकम हासिल की है। इसके अलावा टेक फर्म माइंडट्री में कॉफी डे की हिस्सेदारी को बेचने से 1800 करोड़ रुपये हासिल हुए हैं। इनके अलावा कुछ और डील्स के जरिए कंपनी ने कर्ज में कमी की है और अब कुल कर्ज 3200 करोड़ रुपये ही रह गया है। हालांकि अब भी कोरोना लॉकडाउन के चलते कंपनी का कोर बिजनेस बुरी तरह से प्रभावित है और इसके चलते संकट गहराता नजर आ रहा है।