उनका यह भी दावा है कि सरकार उन मूल मुद्दों को भी छूने में नाकाम रही जिन मुद्दों को लेकर पूरे देश का किसान आज सड़कों पर है।
दिल्ली के बार्डर पर संघर्षरत किसान नेताओं ने आम बजट को किसानों के लिए ‘शून्य बजट’ करार दिया। आय दोगुनी करने के मामले में किसानों का कहना है कि खेती किसानी से आय दोगुनी करने के दावे के पूरे होने के लक्षण इस बजट में नहीं दिख रहे।
संयुक्त किसान संघर्ष समिति के सदस्य योगेंद्र यादव ने कहा-सरकार ने खेती किसानी मद में छह हजार करोड़ रुपए तक की कटौती की है। उन्होंने कहा कि पिछले साल एक लाख 54 हजार की तुलना में छह हजार करोड़ रुपए की कटौती कर इस साल इसे एक लाख 48 हजार पर सिमटा दिया गया है।
पीएम किसान फंड में भी 10 हजार करोड़ रुपए की कटौती का प्रस्ताव बजट में किया गया है। पिछले साल यह आबंटन 75 हजार करोड़ था जिसे घटाकर इस साल इसे 65 हजार करोड़ कर दिया गया है। उन्होंने कहा- कृषि बजट कुल बजट का 5.3 फीसद से घटकर 4.3 फीसद हुआ।
जय किसान आंदोलन के नेता संयुक्त संघर्ष समिति के सदस्य अविक साहा ने कहा- मनरेगा में पिछले साल एक लाख 75 हजार करोड़ से ज्यादा सरकार ने खर्च किए। हालांकि तब भी इस मद में आबंटन कम था लेकिन कोविड के चलते सरकार को इसपर खर्च बढ़ाना पड़ा। बावजूद इसके इस साल आम बजट में इस मद में केवल 73 हजार करोड़ के व्यय की बात कही गई है, जो अनुचित है। किसान नेताओं का कहना है कि मनरेगा ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है इससे अंतिम जन जुड़ा होता है इसे कम से कम दोगुना होना चाहिए।
सरकार ने पूरी फसलों की खरीद एमएसपी पर किए जाने का कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया जिससे किसान नेता काफी आहत हैं। आॅल इंडिया किसान संघर्ष समन्वय समिति के सदस्य डॉक्टर सुनीलम ने कहा कि किसानों की सबसे बड़ी मांग यह थी कि सरकार सभी फसलों की पूरी खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किए जाने की घोषणा करे।

